कांगो में हालिया इबोला प्रकोप का अंत होने की घोषणा
डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) ने आधिकारिक तौर पर देश में 12वें इबोला प्रकोप का अंत होने की घोषणा कर दी है।
- 7 फरवरी, 2021 को देश में इबोला प्रकोप घोषित किये जाने के बाद से, कुल 12 मामले सामने आए हैं।
- कांगो की प्रतिक्रिया टीम और स्वास्थ्य भागीदारों के अनुभवों की बदौलत, महामारी पर, इसकी घोषणा के तीन महीने से भी कम समय में नियंत्रण पा लिया गया है।
‘इबोला’ के बारे:
इबोला विषाणु रोग (Ebola virus disease– EVD), मनुष्यों में फैलने वाली एक घातक बीमारी है। इसके लिए पहले ‘इबोला रक्तस्रावी बुखार’ (Ebola haemorrhagic fever) के रूप में जाना जाता था।
इबोला का प्रसरण: यह विषाणु, वन्यजीवों से मनुष्यों में फैलता है और फिर मानव आबादी में मानव-से-मानव संचरण के माध्यम से फैलता है।
औसतन इबोला विषाणु रोग (EVD) मामलों में मृत्यु दर लगभग 50% होती है। इस बीमारी के पिछले प्रकोपों के दौरान संक्रमित मामलों में मृत्यु दर 25% से 90% तक परिवर्तित होती रही है।
निवारण / रोकथाम: इस बीमारी के प्रकोप को सफलतापूर्वक नियंत्रित करने के लिए सामुदायिक भागीदारी अति महत्वपूर्ण है। प्रकोप पर अच्छे तरीके से नियंत्रण, संक्रमित मामलों का प्रबंधन, निगरानी और संपर्क में आने वाले लोगों की पहचान करना, उपयुक्त प्रयोगशाला सेवाएँ, और सामाजिक जागरूकता पर निर्भर करता है।
उपचार: पुनर्जलीकरण (rehydration) सुविधा प्रदान करने के साथ-साथ प्रारंभिक सहायक देखभाल और लाक्षणिक उपचार, रोगी के जीवित रहने में अवसरों में सुधार करता है। अभी तक, इस विषाणु को निष्प्रभावी करने के कोई भी प्रमाणिक उपचार उपलब्ध नहीं है। हालांकि, रक्त- चिकित्सा, प्रतिरक्षा और ड्रग थेरेपी आदि रोगोपचार विकसित किए जा रहे हैं।
ऑपरेशन समुद्र सेतु-II
भारतीय नौसेना ने भारत में ऑक्सीजन से भरे कंटेनरों की शिपमेंट के लिये ‘ऑपरेशन समुद्र सेतु-II’ की शुरुआत की है।
- ज्ञात हो कि ऑपरेशन समुद्र सेतु को कोविड-19 महामारी के दौरान विदेशों में फँसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने के राष्ट्रीय प्रयास के तहत मई 2020 में लॉन्च किया गया था।
प्रमुख बिंदु
ऑपरेशन समुद्र सेतु-II
- इस ऑपरेशन के हिस्से के रूप में सात भारतीय नौसेना जहाज़ों अर्थात् कोलकाता, कोच्चि, तलवार, टाबर, त्रिकंड, जलश्व तथा ऐरावत को विभिन्न देशों से लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन-फील्ड क्रायोजेनिक कंटेनर्स और संबंधित मेडिकल इक्विपमेंट की शिपमेंट के लिये तैनात किया गया है।
- दो जहाज़ INS कोलकाता और INS तलवार, मुंबई के लिये 40 टन तरल ऑक्सीजन लाने हेतु मनामा और बहरीन के बंदरगाहों में प्रवेश कर चुके हैं।
- INS जलाश्व और INS ऐरावत भी इसी प्रकार के मिशन के साथ क्रमशः बैंकॉक और सिंगापुर के मार्ग पर हैं।
ऑपरेशन समुद्र सेतु:
- इसे वंदे भारत मिशन (VBM) के साथ लॉन्च किया गया था।
- कोरोना वायरस के मद्देनज़र लागू किये गए यात्रा प्रतिबंधों के बीच विदेश में फँसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिये VBM सबसे बड़ा नागरिक निकासी अभियान है।
- यह खाड़ी युद्ध की शुरुआत में वर्ष 1990 में एयरलिफ्ट किये गए 1,77,000 लोगों की संख्या से भी आगे निकल गया है।
- इस ऑपरेशन में भारतीय नौसेना के पोत जलश्व, ऐरावत, शार्दुल और मगर ने भाग लिया।
- कोविड-19 के प्रसार के बीच पड़ोसी देशों में फँसे लगभग 4000 भारतीय नागरिकों को सफलतापूर्वक भारत वापस भेज दिया गया।
- भारतीय नौसेना ने इससे पहले वर्ष 2006 (बेरूत) में ऑपरेशन सुकून और वर्ष 2015 में ऑपरेशन राहत (यमन) के रूप में इसी तरह के निकासी अभियान चलाए हैं।
India -UK वर्चुअल समिट
भारतीय प्रधान मंत्री और यूके के प्रधान मंत्री ने एक आभासी शिखर सम्मेलन आयोजित किया।
‘रोडमैप 2030
द्विपक्षीय संबंधों को Strateg व्यापक रणनीतिक साझेदारी ’तक बढ़ाने के लिए।
यह लोगों के प्रमुख क्षेत्रों में लोगों से संपर्क, व्यापार और अर्थव्यवस्था, रक्षा और सुरक्षा, जलवायु कार्रवाई और स्वास्थ्य के लिए अगले दस वर्षों में गहन और मजबूत जुड़ाव का मार्ग प्रशस्त करेगा।
‘संवर्धित व्यापार भागीदारी’ (ETP)
यह 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करता है।
ईटीपी के एक हिस्से के रूप में, भारत और यूके एक व्यापक और संतुलित एफटीए पर बातचीत करने के लिए एक रोडमैप पर सहमत हुए, जिसमें शुरुआती लाभ देने के लिए एक अंतरिम व्यापार समझौते पर विचार किया गया।
भारत-यूके-ग्लोबल इनोवेशन पार्टनरशिप ’
इसका उद्देश्य अफ्रीका के साथ शुरू होने वाले विकासशील देशों का चयन करने के लिए समावेशी भारतीय नवाचारों के हस्तांतरण का समर्थन करना है
प्रवासन और गतिशीलता पर एक व्यापक साझेदारी
यह दोनों देशों के बीच छात्रों और पेशेवरों की गतिशीलता के लिए अधिक अवसर प्रदान करेगा।
पार्कर सोलर प्रोब
संदर्भ:
अल्पकाल के लिए शुक्र ग्रह के निकट से गुजरने के दौरान, नासा के पार्कर सोलर प्रोब ने एक प्राकृतिक रेडियो सिग्नल का पता लगाया, जिससे, अंतरिक्ष यान के शुक्र ग्रह के ऊपरी वायुमंडल से होकर उड़ान भरने के बारे में ज्ञात हुआ। यह, लगभग 30 वर्षों में शुक्र ग्रह के वातावरण का पहला प्रत्यक्ष प्रमाण था।
निष्कर्ष:
पृथ्वी की भांति, शुक्र ग्रह के वायुमंडल के ऊपरी भाग में विद्युत आवेशित परत पायी जाती है, जिसे आयनमंडल (Ionosphere) कहा जाता है। आवेशित गैसों, अथवा प्लाज्मा के इस महासागर से प्राकृतिक रूप से रेडियो तरंगों का उत्सर्जन होता रहता है।
निहितार्थ:
इस खोज से इस बात की पुष्टि होती है, कि शुक्र का ऊपरी वायुमंडल भी ‘सौर चक्र’ (Solar Cycle) के दौरान पेचीदा परिवर्तनों से गुजरता है।
- सौर-चक्र (Solar Cycle), सूर्य की प्रति 11 साल में होने वाली गतिविधियों का एक चक्र होता है।
- यह शुक्र और पृथ्वी की भिन्नता और इसके कारणों को सुलझाने हेतु सबसे नवीनतम संकेत प्राप्त होते है।
पृष्ठभूमि:
समान प्रक्रियाओं से निर्मित हुए, पृथ्वी और शुक्र को जुड़वां ग्रह कहा जाता है। दोनों ग्रहों पर चट्टानी धरातल, समान आकार और संरचना पायी जाती है। लेकिन, उत्पत्ति के समय से ही दोनों ग्रहों के मार्ग भिन्न थे। शुक्र ग्रह पर चुंबकीय क्षेत्र का अभाव है, और इसकी सतह का तापमान, सीसा को पिघलाने के लिए आवश्यक तापमान से अधिक है।
‘पार्कर सोलर प्रोब मिशन’ के बारे में:
- नासा का ऐतिहासिक पार्कर सोलर प्रोब मिशन सूर्य के बारे में अब तक ज्ञात जानकारी में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा, जहाँ पर बदलती हुई परिस्थितियां, पृथ्वी तथा अन्य दुनियाओं को प्रभावित करती हुई संपूर्ण सौर प्रणाली में प्रसारित होती है।
- पार्कर सोलर प्रोब, किसी भी अंतरिक्ष यान की तुलना में, अत्याधिक ताप एवं विकिरण का सामना करते हुए सूर्य की सतह से सर्वाधिक नजदीक से होकर सूर्य के वायुमंडल से गुजरेगा और अंततः मानवता के लिए तारे का अब तक सबसे निकटतम पर्यवेक्षण प्रदान करेगा।
पार्कर सोलर प्रोब की यात्रा:
- सूर्य के वातावरण के रहस्यों को उजागर करने के क्रम में, पार्कर सोलर प्रोब लगभग सात वर्षों में सात परिभ्रमणों के दौरान शुक्र के गुरुत्वाकर्षण का उपयोग करेगा तथा धीरे-धीरे अपनी कक्षा को सूर्य के नजदीक स्थापित करेगा।
- पार्कर सोलर प्रोब अंतरिक्ष यान, सूर्य की सतह से 9 मिलियन मील की दूरी पर और बुध ग्रह की कक्षा के भीतर से से होकर सूर्य के वायुमंडल से गुजरेगा।
मिशन का लक्ष्य:
पार्कर सोलर प्रोब के तीन विस्तृत वैज्ञानिक उद्देश्य हैं:
- सौर कोरोना और सौर हवा को गर्म करने और गति प्रदान करने वाली ऊर्जा के प्रवाह का पता लगाना।
- सौर हवा के स्रोतों पर प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र की संरचना और गतिशीलता का निर्धारण करना।
- ऊर्जा कणों को गति प्रदान करने और इनका परिवहन करने वाली प्रणाली का अन्वेषण करना।
आईटी हार्डवेयर के लिए उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना (पीएलआई)
आईटी हार्डवेयर के लिए उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) के तहत कुल 19 कंपनियों ने अपना आवेदन दायर किया है
आईटी हार्डवेयर के लिए उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) को हाल ही में अधिसूचित किया गया था।
पीएलआई योजना चार साल की अवधि के लिए पात्र कंपनियों को भारत में निर्मित लक्ष्य खंडों के तहत शुद्ध वृद्धिशील बिक्री (वित्त वर्ष 2019-20 के आधार वर्ष से अधिक) पर 4% से 2% / 1% तक का प्रोत्साहन देती है ( वित्तीय वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2024-25)।
प्रस्तावित योजना के तहत लक्षित आईटी हार्डवेयर खंडों में लैपटॉप, टैबलेट, ऑल-इन-वन पर्सनल कंप्यूटर (पीसी) और सर्वर शामिल हैं।
योजना घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और इन आईटी हार्डवेयर उत्पादों के मूल्य श्रृंखला में बड़े निवेश को आकर्षित करने के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन का प्रस्ताव करती है।
लाभ:
अगले 4 वर्षों में, इस योजना से कुल INR 1,60,000 करोड़ का उत्पादन होने की उम्मीद है।
इस योजना से निर्यात को काफी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
कुल उत्पादन में से 37% से अधिक का निर्यात में योगदान होगा।
यह इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में INR 2,350 करोड़ की अतिरिक्त निवेश लाएगा।
यह लगभग 37,500 प्रत्यक्ष रोजगार के अवसरों और प्रत्यक्ष रोजगार के लगभग 3 गुना अप्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न करेगा।
घरेलू मूल्य वृद्धि वर्तमान 5-12% से बढ़कर 16-35% होने की उम्मीद है।
विश्व अस्थमा दिवस (World Asthma Day)
हर साल विश्व अस्थमा दिवस का आयोजन ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा (Global Initiative for Asthma) द्वारा किया जाता है। इसका उद्देश्य अस्थमा के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। प्रति वर्ष मई के पहले मंगलवार को दिन मनाया जाता है।
आवश्यकता
WHO के अनुसार, पूरी दुनिया में लगभग 235 मिलियन लोग अस्थमा से पीड़ित हैं। यह गैर-संचारी रोगों में से एक है। बच्चों में अस्थमा सबसे आम बीमारी है।
अस्थमा के लिए वैश्विक पहल (Global Initiative for Asthma)
विश्व स्वास्थ्य संगठन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान, राष्ट्रीय हृदय, फेफड़े और रक्त संस्थान के सहयोग से 1993 में अस्थमा के लिए वैश्विक पहल शुरू की गई थी। यह सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारी और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को चिकित्सा दिशानिर्देश प्रदान करती है।
भारत में अस्थमा
भारत में लगभग 6% बच्चे और 2% वयस्क अस्थमा के कारण प्रभावित हैं। भारत में अस्थमा का इलाज किया जाता है और निदान किया जाता है।
इतिहास
पहला विश्व अस्थमा दिवस 1998 में 35 से अधिक देशों में मनाया गया था। पहला विश्व अस्थमा दिवस स्पेन में विश्व अस्थमा बैठक के संयोजन में मनाया गया था।