Ramsar COP15: वेटलैंड्स के संरक्षण का नया अध्याय और भारत का अहम प्रस्ताव

रामसर कॉप 15: वेटलैंड्स के संरक्षण का नया अध्याय और भारत का अहम प्रस्ताव

क्या आप जानते हैं कि वेटलैंड्स, यानी आर्द्रभूमि, हमारे ग्रह के सबसे महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्रों में से एक हैं? ये ऐसे प्राकृतिक क्षेत्र होते हैं जहां भूमि और जल एक-दूसरे से मिलते हैं, जैसे कि दलदल, नदियाँ, झीलों के किनारे। ये न केवल जैव विविधता के लिए स्वर्ग हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनके संरक्षण के लिए ही 1971 में ईरान के रामसर शहर में एक अंतरराष्ट्रीय संधि हुई, जिसे रामसर कन्वेंशन के नाम से जाना जाता है। इस कन्वेंशन के तहत हर तीन साल में ‘कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज’ (COP) की बैठक आयोजित होती है, जिसमें सदस्य देश वेटलैंड्स के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेते हैं।

रामसर कॉप 15 कहाँ और कब हुआ?

हाल ही में, रामसर कॉप 15 की बैठक विक्टोरिया फॉल्स, जिम्बाब्वे में संपन्न हुई है। यह बैठक 23 जुलाई से 31 जुलाई, 2025 तक चली। विक्टोरिया फॉल्स एक विश्व धरोहर स्थल है और स्थानीय लोजी भाषा में इसे ‘मौसी आटोनिया’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘गर्जना करते धुएं जैसा जलप्रपात’। यह दूसरी बार है जब रामसर कॉप की बैठक अफ्रीका महाद्वीप में आयोजित हुई है; इससे पहले 2005 में युगांडा में ऐसी बैठक हुई थी।

कॉप 15 की मुख्य थीम और उद्देश्य क्या थे?

इस बार कॉप 15 की मुख्य थीम थी: “प्रोटेक्टिंग वेटलैंड्स फॉर आवर कॉमन फ्यूचर” (हमारे साझा भविष्य के लिए वेटलैंड्स की रक्षा)। इस सम्मेलन के प्रमुख उद्देश्य थे:

आर्द्रभूमियों का संरक्षण: ये जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण हैं, जैसे कि प्रवासी पक्षियों के लिए।

स्थानीय और पारंपरिक ज्ञान को बढ़ावा: वेटलैंड्स के संरक्षण में स्थानीय समुदायों और उनके पारंपरिक तरीकों के ज्ञान को मान्यता देना और उपयोग करना।

जलवायु परिवर्तन से निपटना: आर्द्रभूमि वर्षा जल को सहेजती हैं, बाढ़ को नियंत्रित करती हैं, और कार्बन सिंक के रूप में कार्य करती हैं।

प्रमुख घोषणाएं और प्रस्ताव

कॉप 15 में कुल 13 प्रस्ताव पारित किए गए, जिनमें से कुछ प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:

आर्द्रभूमि की पुनर्स्थापना (Restoration): क्षतिग्रस्त या सूख चुकी आर्द्रभूमियों को उनकी प्राकृतिक अवस्था में वापस लाने पर जोर दिया गया, जिसमें ताजे पानी के पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली भी शामिल है।

प्रवासी पक्षियों की रक्षा: उनके प्रवास मार्गों (फ्लाईवेज़) को सुरक्षित करने और आईयूसीएन रेड लिस्ट के आंकड़ों के आधार पर महत्वपूर्ण वेटलैंड्स की पहचान करने के लिए मानदंड तय करने पर सहमति बनी।

समान और समावेशी शासन: आर्द्रभूमि के प्रबंधन में सभी समुदायों, जैसे कि महिलाओं, आदिवासी समाजों और ग्रामीण समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया।

पारंपरिक ज्ञान और शहरी वेटलैंड्स: स्थानीय ज्ञान का उपयोग करते हुए शहरी आर्द्रभूमियों को भी संरक्षित करने की दिशा में काम करने का संकल्प लिया गया।

विक्टोरिया फॉल्स डिक्लेरेशन: यह घोषणा राजनीतिक इच्छाशक्ति, वित्तीय संसाधनों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने पर केंद्रित थी।

नवीन रणनीतिक योजना 2025-27: एक नई रणनीतिक योजना अपनाई गई, जिसमें चार लक्ष्य और 18 उद्देश्य शामिल हैं, और अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियों की पहचान के लिए नए मानदंड तय किए गए।

वित्तीय पहलू के संबंध में, 2025-27 के लिए रामसर कॉप 15 के बजट में 4.1% की वृद्धि हुई है, जो लगभग 19.4 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, हालांकि दीर्घकालिक वित्त पर अभी कोई निर्णय नहीं हो पाया है।

भविष्य की राह और भारत का विशेष प्रस्ताव

यह सम्मेलन भविष्य के लिए कई महत्वपूर्ण दिशाएँ भी निर्धारित करता है:

ओईसीएमएस (Other Effective Area-Based Conservation Measures) में वेटलैंड्स की भूमिका को समर्थन: यानी, राष्ट्रीय उद्यानों या अभयारण्यों के अलावा, गाँवों द्वारा पारंपरिक रूप से संरक्षित झीलों या दलदलों जैसे क्षेत्रों को भी जैव विविधता संरक्षण के रूप में मान्यता दी गई।

युवाओं और पारंपरिक ज्ञान का उपयोग: आर्द्रभूमि संरक्षण में युवाओं की ऊर्जा और पारंपरिक ज्ञान को राष्ट्रीय नीतियों में शामिल करने का आह्वान किया गया।

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: जलवायु परिवर्तन, प्लास्टिक प्रदूषण जैसे मुद्दों पर अन्य अंतरराष्ट्रीय संधियों (जैसे यूएफसीसी, मिनीमाटा कन्वेंशन) के साथ समन्वय स्थापित करने की बात कही गई, ताकि प्रभावी और एकीकृत परिणाम मिल सकें।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत ने भी एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखा, जिसका 172 सदस्य देशों और छह अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने समर्थन किया। भारत का प्रस्ताव था: “वेटलैंड्स के समझदारी पूर्ण उपयोग के लिए स्थाई जीवन शैली को बढ़ावा देना” (Promoting Sustainable Lifestyles for the Wise Use of Wetlands)। इस प्रस्ताव का उद्देश्य व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर ऐसी जीवन शैली को बढ़ावा देना है जो टिकाऊ विकास पर आधारित हो, जैसे कि प्लास्टिक का उपयोग कम करना और बायोडिग्रेडेबल उत्पादों का उपयोग करना।

अगली बैठक, रामसर कॉप 16, 2028 में पनामा में आयोजित की जाएगी

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