दूसरे की जगह परीक्षा देने के दोषी करार दिए गए 2019 बैच के आईएएस अधिकारी नवीन तंवर को शुक्रवार को तीन साल कारावास की सजा सुनाई गई। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के न्यायिक मजिस्ट्रेट शिवम वर्मा ने हिमाचल प्रदेश के चंबा भरमौर में एडीएम के पद पर तैनात नवीन पर 50 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है हालांकि, उसे जेल नहीं जाना पड़ा। सीबीआई कोर्ट से जमानत मिल गई है।
9 साल पहले जालसाजी के चलते दोषी बना अधिकारी
दरअसल, 13 दिसंबर 2014 को इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सेलेक्शन (IBPS) क्लर्क की भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी. तब उत्तर प्रदेश के नोएडा के रहने वाले नवीन तंवर गाजियाबद स्थित आइडियल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में क्लर्क भर्ती परीक्षा देने पहुंचे थे. सीबीआई ने अमित सिंह और अजय पाल के स्थान पर परीक्षा दे रहे नवीन तंवर और सावन को गिरफ्तार कर लिया है. जांच में यह भी पता चला कि सुग्रीव गुर्जर और हनुमत गुर्जर ने दोनों परीक्षार्थियों को सॉल्वर मुहैया कराए थे. अभियुक्तों को गिरफ्तारी के बाद कोर्ट से जमानत मिल गई थी. कोर्ट ने सबूतों और गवाहों के बयान के आधार पर सभी अभियक्तों को दोषी माना और सजा के खिलाफ अपील के लिए एक माह की जमानत दी.
छह दोषियों में सावन और नवीन साॅल्वर थे। सावन, अजयपाल और नवीन, अमित सिंह की जगह परीक्षा दे रहे थे। सुग्रीव सिंह और उसका भाई हनुमत की भूमिका साॅल्वर और अभ्यर्थी की बातचीत कराने की थी। ये दोनों ही दस्तावेज तैयार कराते थे और साॅल्वर को परीक्षा केंद्र तक गाड़ी से पहुंचाते थे। सभी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। जमानत पर चल रहे थे।
नवीन तंवर ने 9 साल पहले जब किसी दूसरे की जगह क्लर्क भर्ती परीक्षा दी थी, तब वह खुद भी सरकारी नौकरी तैयारी कर रहे थे. साल 2019 में उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा पास की थी और IAS में चयन हुआ था. 10 महीने पहले उन्हें हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के उपमंडल भरमौर में अतिरिक्त उपायुक्त कम सह-परियोजना निदेशक जिला ग्रामीण विकास एजेंसी (DRDA) का पद मिला था. इससे पहले वे उपमंडल अधिकारी (नागरिक) कांगड़ा व चंबा के पद पर भी रह चुके हैं.