गरीबी और संघर्षों से लड़ते हुए के.जयगणेश यूपीएससी की तैयारी करते रहे. 6 बार फेल भी हुए. इस बीच आईबी से ऑफर हुई नौकरी ठुकराई और 7वें प्रयास में बन गए आईएएस अफसर के. जयगणेश.
‘संघर्ष पथ पर जो मिले, ये भी सही, वो भी सही’. ये लाइनें उन लोगों को समर्पित हैं, जो जिंदगी की तमाम चुनौतियों के बावजूद अपनी कर्म से पिछे नहीं हटते और आखिर में सफलता ही इन लोगों के कदम चूमने आती हैं. संघर्ष तो हर इंसान के जीवन में है, लेकिन मायने यह रखता है कि आप उन संघर्षों में भी किस तरह से सफल बनने की तैयारी कर रहे हैं. आज देश के कोने-कोने में लोग यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं. कुछ के पास हर सुख-सुविधा है तो कुछ के पास गरीबी और संघर्ष के साथ-साथ कुछ कर दिखाने का सपना, जो एक ना एक दिन उन्हें सफलता से मिलवा ही देता है.
ऐसी ही सफलता की कहानी आज हम आपको लिए लाए हैं, जो आईएएस अफसर के. जयगणेश की है. एक गरीब परिवार में पले बड़े के. जयगणेश ने यूपीएससी के एग्जाम में 6 बार फेल हुए. इनके अथक प्रयासों के मद्देनजर आईबी नौकरी ऑफर हुई, लेकिन मिशन तो आईएएस बनना था, इसलिए दोबारा हिम्मत जुटाकर तैयारी में जुट गए और 7वें प्रयास में 156वीं रैंक के साथ आईएएस अफसर बन गए.
आर्थिक तौर पर कमजोर, लेकिन हिम्मत-हौंसलों से अमीर
आईएएस अफसर के.जयगणेशन का जन्म तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में हुआ. विनावमंगलम के एक छोटे से गांव में उनका पूरी परिवार रहता था. परिवार की स्थिति आर्थिक रूप से काफी कमजोर थी. पिता एक फैक्ट्री में काम करते थे. जैसे-तैसे परिवार का खर्चा निकलता था और इन परिस्थितियों से जयगणेश अच्छी तरह वाकिफ थे. अपने परिवार के साथ-साथ गांव की गरीबी को दूर करने का सपना तो बचपन से ही दिमाग में पल रहा था, इसलिए पढ़ाई-लिखाई कभी नहीं छोड़ी
आईएएस के जयगणेश ने अपने गांव से 10वीं तक की पढ़ाई पूरी की और नौकरी मिलने के सपने के साथ एक पॉलिटेक्निक कॉलेज में दाखिला ले लिया. पढ़ाई में आगे जयगणेश ने 91% नंबरों के साथ कॉलेज की पहली डिग्री ली और आगे की पढ़ाई के लिए तांठी पेरियार इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने पहुंच गए.
यहां भी शिक्षा में बेहतर प्रदर्शन किया और कॉलेज पास करते ही 2,500 रुपये की नौकरी मिल गई. दुनियाभर की मेहनत करने के बाद नौकरी मिलने की खुशी तो थी, लेकिन ये सैलरी परिवार को गरीबी से उबारने के लिए काफी नहीं थी. काफी समय से दिमाग में आईएएस बनने का सपना पल रहा था. जब होश संभाला तो नौकरी छोड़ यूपीएससी की तैयारियों में जुट गए.
हर देश के लाखों युवा सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी करते हैं, लेकिन एक बार परीक्षा निकाल पाना हर किसी के भाग्य में नहीं होता, लेकिन असली विजेता तो वही है तो भाग्य को भी पीछे छोड़ दे. आईएएस अफसर के.जयगणेश भी यूपीएससी की तैयारी में लगे रहे. मन में ठान लिया था कि जब तक पास नहीं होंगे, तब तक छोड़ेंगे नहीं.
उनका यही प्रण हर असफलता के बाद हौंसला बना. 6 बार एग्जाम दिया, लेकिन सफलता नहीं मिली. हिम्मत ना हारते हुए, पढ़ाई में लगे रहे. इस बीच परिवार की अर्थिक परेशानी और मानसिक दवाब में आकर छोटे-मोटे काम भी किए. पढ़ाई के लिए समय निकाला और 6वें एग्जाम के बाद इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) की परीक्षा के लिए चयन हो गया.
आईएएस के.जयगणेश ने इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) की नौकरी करने के बजाए दोबारा यूपीएससी को ही चुना. यह फैसला काफी मुश्किल था, लेकिन इन संघर्षों के बीच 7वीं बार यूपीएससी की परीक्षा दी. मेहनत, हिम्मत और हौंसला बांधे रखना फायदेमंद साबित हुआ और UPSC की परीक्षा पास करते हुए 156वीं रैंक हासिल कर ली.
आज के युवा धैर्य की कमी के चलते पहली या दूसरी बार में ही यूपीएससी की परीक्षा या जिंदगी के दूसरे इम्तेहानों को बीच में छोड़ जाते हैं. ऐसे में आज देश के लाखों युवाओं के लिए आईएएस अधिकारी के.जयगणेश मिसाल बनकर सामने आए हैं.