IAS Neha Byadwal: From 2-Mark and 8-Mark Setbacks to UPSC Success

नमस्ते UPSC Aspirants! आज हम आपके लिए लेकर आए हैं एक ऐसी प्रेरणादायक कहानी, जो आपको अपने UPSC Dream को पूरा करने के लिए अदम्य साहस और Never Say Die Attitude देगी। यह कहानी है IAS नेहा ब्याडवाल की, जिन्होंने 2 Marks और 8 Marks से चूकने के बाद भी हार नहीं मानी और अंततः अपनी Success हासिल की। उनकी यह Journey हर Civil Services Aspirant के लिए एक Motivation है।

आइए, जानते हैं कैसे नेहा ब्याडवाल ने अपने हर Challenge को एक Opportunity में बदला और अपनी Goals तक पहुँचीं।

Meet Neha Byadwal, Cracked UPSC In Her 20s, Stayed Away From Phone And  Social Media For 3 Years

UPSC IAS नेहा ब्याडवाल: 2 मार्क्स और 8 मार्क्स से चूकने के बाद भी कैसे पाई सफलता? एक प्रेरणादायक ‘जर्नी’!

बचपन से ‘संघर्ष’ और सीखने की ललक [Early Struggles and Thirst for Learning] नेहा ब्याडवाल, 25 साल की हैं और राजस्थान की रहने वाली हैं, लेकिन उनकी शिक्षा रायपुर में हुई है। उनकी शुरुआती शिक्षा जयपुर में दादा-दादी के साथ हुई, जहाँ वे राजस्थानी में बात करती थीं और उनके लिए हिंदी बोलना भी एक Culture Shock था। स्कूल में वे बहुत खुश रहती थीं और कभी रोई नहीं।

हालांकि, पांचवीं क्लास में उन्हें एक बड़ा Challenge मिला – वे Failed हो गईं! भोपाल में एक प्रॉपर इंग्लिश मीडियम स्कूल में उन्हें किताबों में लिखी बातें समझ नहीं आती थीं, और उन्हें हिंदी बोलने पर Fine लगता था। लेकिन नेहा ने हार नहीं मानी। उन्होंने ठान लिया कि उन्हें सीखना है और बेहतर बनना है। 10वीं तक आते-आते वे फिर से एक Bright Student बन गईं, जिनमें Potential देखा जाने लगा।

‘कॉलेज’ में बदलाव और ‘कॉन्फिडेंस’ का निर्माण [Transformation in College and Building Confidence] 11वीं और 12वीं का समय नेहा के लिए चुनौतीपूर्ण था; उनके Grades नीचे चले गए थे और उन्होंने कई सामाजिक गलतियाँ कीं। लेकिन कॉलेज आकर चीजें बदलने लगीं। रायपुर के डीबी गर्ल्स कॉलेज से इतिहास, अर्थशास्त्र और भूगोल में ग्रेजुएशन करते हुए, उन्होंने अपने पहले साल के Exam में बहुत मेहनत की और College Top किया। यह उनके लिए एक बड़ा बदलाव था, क्योंकि 11वीं-12वीं में उन्होंने खुद से सारी Hope खो दी थी।

कॉलेज में ही उन्हें अपनी एक खास बात का एहसास हुआ: लोग उनसे पढ़ाई के बारे में सवाल पूछते थे और उनके जवाबों पर भरोसा करते थे। यहीं से उनका Confidence बढ़ने लगा। उन्हें बोलने, Debating और Anchoring का हमेशा से शौक था, और कॉलेज में उन्हें इन सब चीज़ों का मौका मिला।

सिविल सेवा का ‘सफर’ और परिवार का साथ [The Civil Services Journey and Family Support] शुरुआत में नेहा वकील बनना चाहती थीं, लेकिन एक घटना के बाद उनके पिताजी ने उन्हें Civil Services के लिए प्रेरित किया। पिताजी ने उन्हें एक रास्ता दिखाया और उन पर पूरा भरोसा जताया।

नेहा एक बड़े संयुक्त परिवार में पली-बढ़ीं, जहाँ लगभग 30 लोग एक छोटे से घर में रहते थे और पढ़ाई का माहौल हमेशा बना रहता था। उनके पिताजी, जो एक IRS Officer हैं, घर पर आते ही बच्चों के साथ पढ़ाई की चर्चा करते थे, Dinning Table पर Meetings होती थीं और वे बोर्ड पर पढ़ाते भी थे। गणित में कमजोर होने के बावजूद, पिताजी के सिखाने के तरीके से उनका दिमाग खुला और उन्हें Mathematics समझ आने लगी। इसी मदद के कारण उन्हें बाद में UPSC C-SAT Paper में कभी कोई समस्या नहीं हुई, जबकि कई Aspirants इसके लिए अलग से Coaching लेते हैं।

UPSC ‘अटेम्पट्स’ और ‘Never Say Die’ ‘एटीट्यूड’ [UPSC Attempts and Never Say Die Attitude] नेहा की UPSC Journey कुल 4 Attempts की थी।

पहला Attempt: इसमें उन्होंने उतनी मेहनत नहीं की थी, इसलिए असफलता पर उन्हें कोई गम नहीं था।

दूसरा Attempt: इस बार उन्होंने अपनी पूरी जान लगा दी, लेकिन Prelims केवल 2 Marks से छूट गया। इस असफलता ने उन्हें तोड़ा नहीं, बल्कि और Optimistic बनाया। उन्हें लगा कि जो चीज असंभव लगती थी, वह सिर्फ 2 मार्क्स दूर थी! उनके Process में उनका विश्वास और गहरा हो गया।

तीसरा Attempt: Prelims उन्होंने क्लियर कर लिया, लेकिन Mains में वे 8 Marks से चूक गईं। जब पिताजी ने उन्हें Mark Sheet भेजी, तो उसमें ‘Failed’ लिखा था, लेकिन उसके नीचे लिखा था – “Proud of You”। यह उनके पिताजी का Never Say Die Attitude था, जिसने नेहा को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

चौथा Attempt: इसी Motivation और अदम्य इच्छाशक्ति के साथ, चौथे Attempt में उन्हें Success मिली।

नेहा खुद को एक Overly Optimistic Person मानती हैं। वे कहती हैं, “आप दरवाजा बंद कर दो मैं खिड़की खोल लूंगी आप उस खिड़की को बंद कर दो मैं दूसरी खिड़की खोद लूंगी”।

‘सक्सेस’ की राह पर मिली ‘लर्निंग्स’ और भाई का ‘सपोर्ट’ [Learnings on the Path to Success and Brother’s Support] UPSC की Journey ने नेहा को कई महत्वपूर्ण बातें सिखाईं: Grit, Hard Work, Perseverance, Zeal और Never Say Die Attitude। उन्होंने सीखा कि समय को कैसे जकड़ कर रखा जाए और उसका सदुपयोग किया जाए। वे 17-18 घंटे पढ़ती थीं, और उन्हें पता भी नहीं चलता था कि समय कब बीत गया।

नेहा के छोटे भाई ने उनकी इस Journey में एक बहुत बड़ा रोल निभाया, खासकर Final Mains में। भाई ने उन्हें Time Management और Answer Writing Practice सिखाई। वे स्टॉपवॉच लेकर बैठते थे और नेहा के 6 मिनट के उत्तर को 10 मिनट में लिखने पर पेपर छीन लेते थे। इस कठोर अभ्यास के कारण चौथे Mains में नेहा ने अपने पेपर 5-10 मिनट पहले ही खत्म कर लिए और उन्हें चेक करने का भी समय मिल गया।

‘इंटरव्यू’ की तैयारी और परिणाम का दिन [Interview Preparation and Result Day] नेहा की Interview Preparation भी बहुत खास थी। उनके घर में रोज Mock Interviews होते थे, जिसमें पूरा परिवार शामिल होता था। यह उन्हें आत्मविश्वास देता था। वे लोगों से बात करना पसंद करती हैं, और Interview में भी उन्होंने वही दिखाया जो वे थीं – Confident और Optimistic

Result का दिन भी रोमांचक था। नेहा की एक परंपरा है कि वे अपना Result खुद चेक नहीं करतीं, क्योंकि जब उन्होंने ऐसा किया था तो परिणाम Negative आया था। इस बार उनके चाचा ने उन्हें Result बताया, “नेहा, नेहा, नेहा!” उनकी खुशी से नेहा समझ गईं कि उनका Selection हो गया है।

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