विश्व जलवायु परिवर्तन, सामाजिक-आर्थिक असमानता, गरीबी और संघर्ष जैसे कई संकटों का सामना कर रहा है। आर्थिक विकास का वर्तमान मॉडल समतामूलक नहीं है। केवल आर्थिक विकास से विश्व की समस्याएँ हल नहीं होंगी; इसे संवहनीय और समतामूलक भी होना चाहिये।
G20—जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 80% और वैश्विक आबादी के दो-तिहाई का प्रतिनिधित्व करता है, वैश्विक शासन के लिये सबसे प्रभावशाली मंच में से एक है। हालाँकि वर्तमान में यह गतिरोध का सामना कर रहा है जहाँ अमेरिका चाहता है कि इसके सदस्य रूस और चीन को इससे बाहर कर दें, जिन्हें वह अपने व्यक्तिगत लाभ में बाधक के रूप में देखता है। G20 के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में भारत G-7 के दबाव में नहीं आया है और चाहता है कि G20 मानव जाति के 90% भाग के एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करे जो G7 के दायरे से बाहर है।
G20 के अध्यक्ष के रूप में भारत ने दुनिया के सभी नागरिकों को एक साथ लाने और दुनिया को सभी के लिये बेहतर बनाने के लिये ‘वसुधैव कुटुंबकम’ – एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। भारत ने G20 के लिये यानी ‘सतत् विकास के लिये जीवन शैली’ का दृष्टिकोण भी प्रस्तावित किया है। इसके लिये ‘‘संपूर्ण समाज में सामूहिक कार्यों में निहित सभी स्तरों पर हितधारकों के बीच सुसंगत कार्यों’’ की आवश्यकता है। यह सतत् जीवन शैली का समर्थन करने में स्थानीय समुदायों, स्थानीय एवं क्षेत्रीय सरकारों और पारंपरिक ज्ञान की भूमिका को भी चिह्नित करता है और इसका संवर्द्धन करता है।
शिखर सम्मेलन जी 20 समूह की सबसे बड़ी बैठक
जो सालाना शिखर सम्मेलन होता है, वो जी 20 समूह की सबसे बड़ी बैठक होती है. इसमें सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष या कार्यकारी प्रमुख हिस्सा लेते हैं. इसके साथ ही सितंबर में नई दिल्ली में होने वाली बैठक में आमंत्रित देशों के तौर पर 9 देशों के राष्ट्र प्रमुख भी भारत आएंगे. आमंत्रित देशों में बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशस, नीदरलैंड्स, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं.
इनके अलावा शिखर सम्मेलन में कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे. इनमें संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, वर्ल्ड बैंक, विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व व्यापार संगठन, इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन, फाइनेंशियल स्टेबिलिटी बोर्ड और आर्थिक सहयोग और विकास संगठन शामिल हैं. इनके अलावा अफ्रीकन यूनियन, अफ्रीकन यूनियन डेवलपमेंट एजेंसी और दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन आसियान के प्रतिनिधि भी बतौर क्षेत्रीय संगठन के तौर पर जी 20 समिट में हिस्सा लेंगे. इनके अलावा बतौर अध्यक्ष भारत ने इंटरनेशनल सोलर एलायंस, कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर और एशियन डेवलपमेंट बैंक को भी इस बैठक लिए आमंत्रित किया है.
भारत मंडपम’ की भव्यता देखेंगे विदेशी मेहमान
‘भारत मंडपम’ ये भी दर्शाता है कि बुनियादी ढांचे के विकास को लेकर भारत के कदम कितने आगे बढ़ गए हैं. करीब 123 एकड़ में फैले परिसर क्षेत्र के साथ आईईसीसी कॉम्प्लेक्स को भारत के सबसे बड़े एमआईसीई गंतव्य के रूप में विकसित किया गया है. आयोजनों के लिए उपलब्ध कवर एरिया के लिहाज से आईईसीसी कॉम्प्लेक्स दुनिया के शीर्ष प्रदर्शनी और सम्मेलन परिसरों में शामिल हो गया है. इसके भव्य मल्टीपरपज हॉल और प्लेनरी हॉल की संयुक्त क्षमता सात हजार लोगों की है. ये ऑस्ट्रेलिया के मशहूर सिडनी ओपेरा हाउस की बैठने की क्षमता से भी ज्यादा है. इसके शानदार एम्फीथिएटर में 3,000 लोगों के बैठने की क्षमता है.
स्थानीय शासन को सशक्त करना वैश्विक शासन को कैसे सशक्त कर सकता है?
SDGs के लिये समुदाय-आधारित समाधान:
सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) की चुनौतियों से सबसे अधिक प्रभावित लोगों, जैसे सतत् कृषि के लिये स्थानीय किसानों या स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच के लिये स्वास्थ्यकर्मियों को शामिल करने से संदर्भ-विशिष्ट और अभिनव समाधान प्राप्त हो सकते हैं।
उदाहरण के लिये, ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय किसानों को उनके वातावरण के अनुकूल जलवायु-कुशल कृषि अभ्यासों को अपनाने हेतु संलग्न करने से कृषि उत्पादकता और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलता है।
स्थानीय सेवाओं और प्रत्यास्थता को सुदृढ़ करना:
शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छ जल और सामाजिक सुरक्षा जाल जैसी बुनियादी सेवाओं तक पहुँच बढ़ाने से प्रत्यक्ष रूप से कल्याण सुनिश्चित होता है और आघातों के प्रति संवेदनशीलता घटती है, जिससे समुदायों के लिये एक सुदृढ़ नींव का निर्माण होता है।
उदाहरण के लिये, दूरदराज के गाँवों में जल शोधन इकाइयों का निर्माण स्वास्थ्य एवं स्वच्छता को बढ़ाता है और स्वच्छ जल एवं स्वास्थ्य संबंधी SDGs को संबोधित करता है।
सहभागी शासन और जवाबदेही:
स्थानीय नागरिकों, नागरिक संगठनों और निर्वाचित प्रतिनिधियों को संलग्न करते हुए पारदर्शी निर्णयन प्रक्रियाओं को बढ़ावा देना यह सुनिश्चित करता है कि क्रियान्वित नीतियाँ समुदाय की आवश्यकताओं, विश्वास-बहाली और जवाबदेही के अनुरूप हों।
साझा प्रगति के लिये सहकारी नेटवर्क:
स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, ज्ञान के आदान-प्रदान और संसाधन-साझाकरण के लिये मंच स्थापित करने से समुदायों को जलवायु परिवर्तन, गरीबी और असमानता जैसी चुनौतियों का सामूहिक रूप से समाधान करने में मदद मिलती है।
वैश्विक शासन को आकार देने में G20 की क्या भूमिका है?
आर्थिक समन्वय:
आर्थिक मुद्दे राष्ट्रीय सीमाओं से परे प्रभाव रखते हैं, इसलिये समन्वित प्रयासों की आवश्यकता रखते हैं।
G20 विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के लिये अपनी आर्थिक नीतियों पर चर्चा करने और उन्हें संरेखित करने तथा वैश्विक स्थिरता एवं विकास को बढ़ावा देने के लिये एक मंच के रूप में कार्य करता है।
G20 वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 80% से अधिक की और वैश्विक व्यापार में लगभग 75% की हिस्सेदारी रखता है।
संकट प्रबंधन:
G20 का उभार वर्ष 2008 के वित्तीय संकट की प्रतिक्रिया के रूप में हुआ था। तब से इसने तत्काल चुनौतियों का समाधान करने और रिकवरी के लिये रणनीति तैयार करने के लिये वैश्विक नेताओं को एक मंच पर लाकर संकट प्रबंधन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उल्लेखनीय है कि कोविड-19 महामारी की प्रतिक्रिया में G20 के नेताओं ने वैश्विक प्रयासों के समन्वय के लिये एक असाधारण ‘वर्चुअल लीडर्स समिट’ का आयोजन किया था। इस अवसर पर उन्होंने अनुसंधान का समर्थन करने, चिकित्सा आपूर्ति तक पहुँच सुनिश्चित करने और सर्वोत्तम अभ्यासों की साझेदारी करने के लिये प्रतिबद्धता जताई।
वैश्विक वित्तीय प्रणाली में सुधार
G20 वैश्विक वित्तीय प्रणाली की प्रत्यास्थता और स्थिरता को बढ़ाने का लक्ष्य रखता है। इसने भविष्य के संकटों को रोकने के लिये वित्तीय संस्थानों, विनियमों और निरीक्षण तंत्र में सुधारों पर बल दिया है।
वित्तीय विनियमन के प्रति G20 की प्रतिबद्धता के परिणामस्वरूप ‘वित्तीय स्थिरता बोर्ड’ की स्थापना की गई, जो वैश्विक वित्तीय प्रणाली की निगरानी करता है और उसके बारे में अनुशंसाएँ करता है।
जलवायु परिवर्तन और सतत् विकास:
हालाँकि यह इसके प्राथमिक कार्य-दायित्व में शामिल नहीं है, लेकिन G20 ने पर्यावरणीय मुद्दों और सतत् विकास को भी संबोधित करने का प्रयास किया है। इस समूह के निर्णय संसाधन आवंटन, ऊर्जा नीतियों और अंतर्राष्ट्रीय जलवायु प्रतिबद्धताओं को प्रभावित करते हैं।
एजेंडों को आकार देना:
G20 एजेंडे तय कर सकता है और वैश्विक स्तर पर प्राथमिकताओं को प्रभावित कर सकता है। इसकी चर्चाएँ प्रायः अंतरराष्ट्रीय आख्यान को आगे बढ़ाती हैं और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा अपनाई जाने वाली नीतियों का मार्गदर्शन करती हैं।