गांव की बेटी DIVYA जिसने मां की मेहनत को बनाया अपनी ताकत, दो बार UPSC में रचा इतिहास

“जहां हालात कमजोर हों, वहीं हौसले सबसे बुलंद होते हैं।”

हरियाणा के महेन्द्रगढ़ जिले के छोटे से गांव निंबी की रहने वाली दिव्या तंवर (Divya Tanwar) आज लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। पिता के निधन के बाद मां ने खेतों में मजदूरी और कपड़े सिलकर बच्चों की परवरिश की — और उसी संघर्ष ने दिव्या को मजबूत बनाया।

गांव की बेटी ने मां की मेहनत से सीखा जज्बा, UPSC में दो बार गाड़े झंडे; अब हैं IAS

मां की मेहनत से सीखा जज्बा

साल 2011 में पिता के निधन के बाद परिवार की सारी जिम्मेदारी उनकी मां बबीता तंवर पर आ गई। आर्थिक संकट के बावजूद उन्होंने शिक्षा में कभी समझौता नहीं किया।
दिव्या ने अपनी पढ़ाई सरकारी स्कूल और नवोदय विद्यालय से पूरी की। विज्ञान स्नातक की डिग्री के बाद उन्होंने ठान लिया कि वे देश सेवा के लिए UPSC परीक्षा पास करेंगी।


बिना कोचिंग के पहली बार में बनीं IPS अधिकारी (AIR 438)

जहां अधिकतर छात्र कोचिंग संस्थानों पर निर्भर रहते हैं, वहीं दिव्या ने ऑनलाइन संसाधनों और मॉक टेस्ट से तैयारी की।
उनकी मेहनत रंग लाई जब उन्होंने 2021 में UPSC CSE में AIR 438 प्राप्त किया।
सिर्फ 21 वर्ष की उम्र में वे भारत की सबसे युवा IPS अधिकारियों में से एक बनीं।
उनके 751 लिखित अंक और 179 इंटरव्यू अंक मिलाकर कुल 930 अंक हुए — जो उनकी लगन का प्रमाण हैं।


दूसरी कोशिश में हासिल किया IAS बनने का सपना (AIR 105)

IPS बनने के बाद भी दिव्या का सफर नहीं रुका।
उन्होंने 2022 में दोबारा परीक्षा दी और इस बार AIR 105 प्राप्त कर IAS अधिकारी बनीं।
दूसरे प्रयास में उन्हें 834 लिखित और 160 इंटरव्यू अंक मिले — कुल 994 अंक
रिपोर्ट्स के अनुसार, आज वे मणिपुर कैडर में बतौर IAS अधिकारी कार्यरत हैं और देश के प्रशासनिक तंत्र में योगदान दे रही हैं।


दिव्या तंवर की सफलता से मिलने वाली सीख

  1. कठिनाइयाँ सफलता की सीढ़ियाँ होती हैं।
  2. अनुशासन और आत्मविश्वास किसी भी संसाधन से बड़ा हथियार है।
  3. सपना चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, लगातार प्रयास से उसे हासिल किया जा सकता है।

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निष्कर्ष (Conclusion)

दिव्या तंवर की कहानी बताती है कि जब इरादे मजबूत हों, तो हालात चाहे कितने भी मुश्किल क्यों न हों, सफलता कदम चूमती है।
गांव की बेटी से लेकर IAS अधिकारी तक का सफर सिर्फ मेहनत की नहीं, बल्कि मां की ममता और बेटी के जज्बे की कहानी है।


Sources:


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