IAS Arpit Gupta की सफलता की कहानी: एक मिनट में कोई ब्यूरोक्रेट नहीं बनता

यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा को देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। हर साल लाखों छात्र इसमें बैठते हैं, लेकिन सफलता कुछ ही के हाथ लगती है। IAS अर्पित गुप्ता (ऑल इंडिया रैंक 54, 2021) की कहानी उन सभी उम्मीदवारों के लिए एक मिसाल है जो यह सोचते हैं कि बिना महंगी कोचिंग के या सीमित संसाधनों के साथ इस परीक्षा को पास नहीं किया जा सकता।

IAS Arpit Gupta

1. ब्यूरोक्रेट बनना एक लंबी प्रक्रिया है, एक मिनट का परिणाम नहीं

अर्पित गुप्ता का मानना है कि एक ब्यूरोक्रेट एक मिनट में नहीं बनता है। हालांकि, परिणाम की पीडीएफ (PDF) में नाम आने में केवल एक मिनट लगता है, लेकिन उस पद के लायक बनने में सालों की मेहनत और मूल्यों (values) का निर्माण लगता है। अर्पित कहते हैं कि 30 मई को रिजल्ट आने से पहले तक वह भी एक सामान्य एस्पिरेंट थे, जो उन्हीं फ्रस्ट्रेशन और परेशानियों से गुजर रहे थे जिनसे आप आज गुजर रहे हैं।

2. कोचिंग की भीड़ से अलग खुद की राह

अर्पित ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण फैसला लिया—कोचिंग जॉइन न करने का। उनका मानना था कि वह उस भीड़ का हिस्सा नहीं बनना चाहते जो हर दिन वही लक्ष्मीकांत या स्पेक्ट्रम की किताबें पढ़कर परीक्षा में वही उत्तर लिखने की कोशिश कर रही है। उन्होंने मिनिमम रिसोर्सेज (न्यूनतम संसाधनों) पर भरोसा किया और अपनी रिसर्च से खुद के नोट्स तैयार किए।

  • रणनीति का सार: दूसरों की स्ट्रेटजी कॉपी करने के बजाय अपनी क्षमताओं को पहचानें।
  • रिसोर्स मैनेजमेंट: एक विषय के लिए केवल एक ही किताब या मटेरियल रखें और उसे बार-बार रिवाइज करें。

3. विकल्प (Optional) का सही चुनाव

अर्पित ने गणित (Mathematics) को अपना वैकल्पिक विषय चुना, भले ही कई लोगों ने कहा कि इसमें नंबर लाना मुश्किल हो सकता है। उन्होंने गणित में 306 अंक प्राप्त किए, जिसने उन्हें टॉप 100 रैंक दिलाने में मदद की। उनका सुझाव है कि उस विषय को चुनें जिसमें आप दूसरों से बेहतर प्रदर्शन कर सकें।

4. प्रेरणा: क्यों बनना चाहते थे सिविल सर्वेंट?

अर्पित की प्रेरणा उनके बचपन के एक दोस्त से आई। उन्होंने देखा कि सहजनवा (गोरखपुर) के एक ही स्कूल में साथ खेलने वाले उनके दोस्त को वह मौके (opportunities) नहीं मिले जो अर्पित को आईआईटी रुड़की तक ले गए। यह ‘अवसरों का अंतर’ (Opportunity Gap) खत्म करना ही उनका मुख्य उद्देश्य बना।

5. ग्राउंड लेवल पर बदलाव का लक्ष्य

आईएएस बनने के बाद अर्पित का मुख्य फोकस शिक्षा व्यवस्था (Education System) और पॉलिसी एग्जीक्यूशन (नीतियों का कार्यान्वयन) पर है। वे चाहते हैं कि सरकार की योजनाएं अंतिम व्यक्ति (last man) तक पहुँचे और ई-गवर्नेंस के माध्यम से जागरूकता की कमी को दूर किया जा सके।

सफलता के मूल मंत्र (Key Takeaways):

  • Hard Work Beats Talent: मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। अर्पित कहते हैं, “कठिन परिश्रम टैलेंट को भी मात दे सकता है”।
  • स्वयं पर भरोसा: अगर आप खुद पर भरोसा रखते हैं, तो बिना कोचिंग के भी यूपीएससी क्लियर किया जा सकता है。
  • प्रॉब्लम सॉल्विंग अप्रोच: एस्पिरेंट के तौर पर समस्याओं को हल करने का नजरिया रखें, तभी आप सिस्टम में आकर बदलाव ला पाएंगे।

अर्पित गुप्ता की यह कहानी हमें सिखाती है कि लक्ष्य केवल परीक्षा पास करना नहीं, बल्कि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति की सेवा करना होना चाहिए।


एक छोटा सा उदाहरण: जैसे किसी विशाल बरगद के पेड़ को मिट्टी फाड़कर बाहर आने में एक पल लगता है, लेकिन उस पल के लिए वह बीज जमीन के नीचे अंधेरे में महीनों तक जड़ें जमाता है और पोषण इकट्ठा करता है; ठीक वैसे ही, यूपीएससी का रिजल्ट आना वह एक पल है, लेकिन उस ऑफिसर के रूप में आपकी ‘जड़ें’ सालों की कड़ी मेहनत और अनुभवों से तैयार होती हैं।

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