IAS Success Story: अर्पिता गुप्ता (AIR 54) की UPSC रणनीति: भीड़ का हिस्सा बनने से बचें, इन 5 मंत्रों से पाएं सफलता

IAS Success Story: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा (UPSC CSE) सिर्फ एक परीक्षा नहीं है, बल्कि एक लंबी और थकाऊ प्रक्रिया है, जिसमें लाखों छात्र शामिल होते हैं । इस भीड़ से बाहर निकलकर टॉप 100 में जगह बनाना किसी उपलब्धि से कम नहीं है।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2021 में ऑल इंडिया रैंक 54 (AIR 54) हासिल करने वाले अर्पित गुप्ता, जो गोरखपुर के सहजनवा जैसे छोटे कस्बे से आते हैं की यात्रा हमें सिखाती है कि सफलता के लिए महंगे रिसोर्स या भीड़ का हिस्सा बनना ज़रूरी नहीं है। आईआईटी रुड़की से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने और कॉर्पोरेट जॉब छोड़ने के बाद, उन्होंने कुछ ऐसे मूलभूत सिद्धांतों पर भरोसा किया, जिन्होंने उन्हें यह मुकाम दिलाया ।

IAS Success Story: अर्पिता गुप्ता (AIR 54) की UPSC रणनीति……

अर्पित गुप्ता अपनी प्रेरणा, रणनीति और यूपीएससी के बाद की ज़िंदगी के बारे में क्या कहते हैं, आइए जानते हैं:

1. कोचिंग से दूरी और न्यूनतम रिसोर्स का महत्व

अधिकांश उम्मीदवार कोचिंग संस्थानों की ओर भागते हैं क्योंकि उन्हें डर लगता है कि बिना मार्गदर्शन के परीक्षा पास नहीं हो सकती । लेकिन अर्पित गुप्ता ने एक अलग रास्ता चुना।

उनका मानना था कि वह उस भीड़ का हिस्सा नहीं बनना चाहते जो एक ही चीज़ पढ़कर एग्जाम में वही चीज़ लिखने की कोशिश करती है । उन्होंने यह फैसला किया कि वह उन न्यूनतम रिसोर्स (Minimum Resources) का उपयोग करेंगे जो हर इंसान के पास उपलब्ध हैं ।

“मैं यह बात पूरी भरोसे के साथ कह सकता हूं की मैंने उन मिनिमम रिसोर्सेस से ही एग्जाम क्लियर किया है ।”

उन्होंने सुझाव दिया कि जीएस 1, 2, 3, 4 के लिए सिर्फ एक किताब या एक स्टडी मटेरियल चुनें जैसे पॉलिटी के लिए लक्ष्मीकांत, हिस्ट्री के लिए स्पेक्ट्रम और उसे बार-बार पढ़ें और नोट्स बनाएं । यदि आपके नोट्स डेढ़-दो पन्ने से ज़्यादा के हैं, तो आप उसे 3 घंटे में लिख नहीं पाएंगे ।

2. खुद पर भरोसा (Self-Belief) और अपनी स्ट्रैटेजी बनाना

लाखों की भीड़ में सफल होने के लिए सबसे ज़रूरी है खुद पर भरोसा रखना ।

अर्पित गुप्ता के अनुसार, जब आप इतनी बड़ी परीक्षा की तैयारी कर रहे होते हैं, तो लोग आपको कोचिंग लेने या किसी खास तरीके से पढ़ने की सलाह देंगे, लेकिन आपको यह तय करना होगा कि आपके लिए क्या सही है ।

“अगर हमको लगता है की हमें यह चीज नहीं करनी है तो हम नहीं करेंगे। लोगों ने बोला की कोचिंग करो, बहुत जरूरी है तो सबसे इंपॉर्टेंट चीज यही है की अपनी हिसाब से प्लानिंग करनी है ।”

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि दूसरों की रणनीति का पालन करने के बजाय, यह आपकी खुद की स्ट्रेटेजी होनी चाहिए कि कब कौन सी चीज़ पढ़नी है और कैसे उसमें विशेषज्ञता हासिल करनी है ।

3. अपनी ताकत पहचानें: मैथमेटिक्स ऑप्शनल से मिली सफलता

यूपीएससी में सफलता सुनिश्चित करने के लिए ‘ऑप्शनल सब्जेक्ट’ (वैकल्पिक विषय) बहुत महत्वपूर्ण होता है । अर्पित गुप्ता ने कॉलेज से निकलते ही तय कर लिया था कि वह मैथ्स (गणित) ही लेंगे, भले ही उनके नंबर आएं या न आएं ।

उन्हें पता था कि मैथ्स ही वह विषय है जो उन्हें टॉप 100 में जगह दिला सकता है । उनका लक्ष्य था कि उन्हें मैथ्स में 300 से ऊपर नंबर मिले, और उन्होंने 306 अंक प्राप्त किए ।

उन्होंने बताया कि उन्होंने ESSAY जैसे अन्य विषयों में ज़्यादा समय नहीं दिया (क्योंकि समय की कमी थी, और उनका ऑप्शनल मैथ्स था) । लेकिन उन्हें यह पता था कि अगर उन्होंने किसी एक जगह (जैसे Essay) पर कॉम्प्रोमाइज़ किया है, तो उन्हें उस चीज़ का रिवॉर्ड किसी और विषय (जैसे मैथ्स) से हासिल करना होगा यही वह डोमेन है जहाँ आप दूसरों से बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं ।

4. ‘क्यों’ जरूरी है: ऑफिसर बनने का असली लक्ष्य

अर्पित गुप्ता ने ढाई महीने की कॉर्पोरेट नौकरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारी शुरू की । उनका सबसे बड़ा प्रेरणा स्रोत वह असमान अवसर का गैप था जो उन्होंने अपने बचपन के दोस्त और खुद के बीच देखा ।

“वो लड़का आज भी उसी शहर में है, आज भी उसी जगह पे एक छोटी सी नौकरी कर रहा है क्योंकि उसे ऑपच्यरुनिटीज नहीं मिली है वो ऑपच्यरुनिटीज जो मुझे मिली है ।”

उनका अंतिम लक्ष्य (End Goal) केवल परीक्षा पास करना नहीं था, बल्कि जमीनी स्तर पर बदलाव लाना था । उनका प्राथमिक मोटो है शिक्षा प्रणाली में सुधार लाना, और सरकारी योजनाओं का तेजी से एग्जीक्यूशन करना, ताकि सुविधाएँ उन लोगों तक पहुँचें जो उन्हें मांग नहीं पा रहे हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में ।

उनका मानना है कि सरकार ऐसे लोग चाहती है जो समस्याओं को पढ़ना नहीं, बल्कि समस्याओं का निवारण (Problem Solving) करना जानते हों ।

5. ब्यूरोक्रेट एक मिनट में नहीं बनता

यूपीएससी का रिजल्ट आने के बाद एक मिनट में आपकी पहचान बदल जाती है। रिजल्ट की PDF आने के अगले ही मिनट से लोग एक एस्पायरेंट को ‘ऑफिसर’ की तरह देखने लगते हैं ।

अर्पित गुप्ता बताते हैं कि वह भी रिजल्ट आने से पहले तक एक आम एस्पायरेंट थे, जिसमें वही निराशा और फ्रस्ट्रेशन थी जो आज के एस्पायरेंट में है। एक मिनट में इंसान की वैल्यूज़ चेंज नहीं हो सकतीं । उन्हें अपने प्रोफेसर से भी सुनना पड़ा था कि वह अभी भी एक स्टूडेंट जैसे ही लग रहे हैं ।

उनका मानना है कि एक ब्यूरोक्रेट एक मिनट में नहीं बनता है, इसमें सालों लग जाते हैं । इसलिए यह ज़रूरी है कि आप अपने सच्चे स्वभाव को बनाए रखें और दिखावे से बचें ।

अंतिम संदेश: हार मत मानो

अर्पित गुप्ता के अनुसार, जीवन में आगे बढ़ने के लिए उन्हें हमेशा एक अंग्रेजी का उद्धरण प्रेरित करता रहा है: “Hard Work Beats Talent When Talent Doesn’t Work Hard” (जब टैलेंट कड़ी मेहनत नहीं करता, तब कड़ी मेहनत टैलेंट को हरा देती है) । वह कहते हैं कि कड़ी मेहनत सबको करनी पड़ती है, और हमें बिना रुके, बिना थके आगे बढ़ते रहना है।

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