मध्य प्रदेश जनजातीय समुदायों के मामले में भारत का सबसे समृद्ध राज्य है। 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या का 21.1% अनुसूचित जनजाति (एसटी) के रूप में पंजीकृत है। मध्य प्रदेश में 46 अनुसूचित जनजातियां हैं।
जनजाति के बारे में
जनजातियों में लोगों का एक समूह एक निश्चित और भौगोलिक क्षेत्र (shared geographical area) में एक साथ रहता है और काम करता है। किसी भी जनजाति का नेतृत्व एक मुखिया करता है। एक जनजाति की एक समान संस्कृति, बोली और धर्म होता है। उनमें एकता भी होती है।
मध्य प्रदेश के जिलों के आसपास जनजातियों का बड़ा समूह है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत के राज्य मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा जनजातीय आबादी है। कई आदिवासी संप्रदायों में से भील जनजाति सबसे अधिक आबादी वाले संप्रदायों में से एक है। दूसरी सबसे बड़ी जनजाति गोंड है, जिसके बाद बैगा, कोल और कोरकू आते हैं। यहां मध्य प्रदेश की जनजातियों के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है।
मध्य प्रदेश की भील जनजाति
मध्य प्रदेश की भील जनजातियां झाबुआ, खरगोन, धार और बड़वानी जिलों में बड़ी संख्या में पाई जाती हैं। इस जनजाति के लोग चमकीले रंगों में कपड़े पहनने, भारी आभूषण पहनने के लिए जाने जाते हैं। ये हस्तशिल्प, कालीन, आभूषण और कपड़े बनाते हैं।
भीलों में जीवन जीने का तरीका अलग है और इनके अलग-अलग प्रकार के विवाह होते हैं जिससे उन्हें अपना साथी चुनने की छूट मिलती है। यह जनजाति तीरंदाजी और खेती करने के लिए भी जानी जाती है। भील जनजाति भारत में तीसरी सबसे बड़ी जनजाति मानी जाती है।
मध्य प्रदेश की गोंड जनजातियां
गोंड जनजाति द्रविड़ मूल की है और इस जनजाति के लोग नृत्य और संगीत के माध्यम से अपनी संस्कृति का जश्न मनाते हैं। मध्य प्रदेश के विभिन्न पार्कों में इस जनजाति द्वारा बनाई गई पेंटिंग प्रदर्शित की जाती हैं। गोंड राज्य में दूसरी सबसे अधिक जनसंख्या वाली जनजाति है और इसकी मध्य प्रदेश के सभी जिलों में उपस्थिति है।
मध्य प्रदेश की बैगा जनजाति
बैगा जनजाति मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में पाई जाती है। इस जनजाति के लोग सफ़ेद पोशाक पहनने के लिए जाने जाते हैं। सजावट के तौर पर ये अपने चेहरे पर टैटू बनवाते हैं और यह एक ट्रेडमार्क के रूप में कार्य करता है।
कोरकू
कोरकू की भी मध्य प्रदेश की जनजातियों में अच्छी स्थिति मानी जाती है। कोरकू जनजाति की महिलाओं के माथे के पास ‘M’ अंकित होता है। कोरकू मुंडा जातीय समूह भी जो मुख्य रूप कोरकू भाषा बोलते हैं।
जिलेवार मध्य प्रदेश की जनजातियां क्या हैं?
मध्य प्रदेश में जनजाति जनसंख्या 153.16 लाख है और यह जिलों के हिसाब से है, यहां जिलेवार मध्य प्रदेश की जनजातियां बताई जा रही हैंः
मध्य प्रदेश (जिलों का नाम) | जनजातियां |
छिंदवाड़ा, बैतूल, बालाघाट, सिवनी | हलबा, भारिया बैगा, मड़िया। |
सीधी, शहडोल, जबलपुर, सतना, रीवा | अगरिया, पनिका, खैरवार, कोल, मड़िया। |
झाबुआ, रतलाम, धार, खंडवा, खरगोन | भील |
होशंगाबाद, बैतूल, जबलपुर, हरदा, नरसिंहपुर | कोरकू, गोंड़। |
सहरिया: सहरिया मध्य प्रदेश की एक और PVTG है। वे राज्य के उत्तरी और पूर्वी जिलों में पाए जाते हैं। सहरिया कृषि और मजदूरी पर निर्भर हैं।
मध्य प्रदेश की जनजातियां अपनी समृद्ध संस्कृति और परंपराओं के लिए जानी जाती हैं। उनके पास अपनी अनूठी भाषाएं, वेशभूषा, भोजन और त्योहार हैं। मध्य प्रदेश की जनजातियां राज्य की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं