ऐसे तत्व जो इलेक्ट्रॉन (इलेक्ट्रॉनों) को त्याग कर धनायन प्रदान करते हैं, धातु कहलाते हैं। आधुनिक आवर्त सारणी में सभी धातु तत्व बायीं ओर तथा मध्य में स्थित हैं। आवर्त सारणी में जो तत्व बिल्कुल बायीं ओर है उनमें धातुओं के गुण सबसे अधिक पाये जाते हैं।
प्राचीन काल में सिर्फ 8 धातु ही ज्ञात थे। ये धातु थे- कार्बन (Carbon), सोना (Gold), चांदी (Silver), टिन (Tin), सीसा (Lead), लोहा (Iron), पारा (Mercury) और एंटीमनी (Antimony)। इन 8 धातुओं को प्रागैतिहासिक धातु की संज्ञा दी गई है। वर्तमान में धातुओं की कुल संख्या 90 है।
धातुओं के गुण
- भौतिक गुण (Physical Properties):
(i) धातुएं आघातवर्ध्य (Malleable) होते हैं । इनको हथौड़ों से पीटकर चादर (पत्तर) के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। सोना और चांदी सबसे अधिक आघात वर्ध्य होते हैं।
(ii) धातुएं तन्य (Ductile) होते है, लेकिन सभी धातु एक जैसे तन्य नहीं होते। 100 मिग्रा० चांदी से लगभग 200 मीटर लम्बा तार खींचा जा सकता है।
(iii) सभी धातुएं चमकीले होते हैं। इस चमक को धातुई चमक (Metallic Lusture) कहते है।
(iv) धातुओं का घनत्व उच्च होता है।
(v) सभी धातुएं ऊष्मा और विद्युत् के चालक होते हैं। चांदी ऊष्मा और विद्युत् का सर्वोत्तम चालक है। सीसा (Lead) की ऊष्मीय एवं विद्युतीय चालकता सबसे कम होती है।
- रासायनिक गुण (Chemical Properties): धातुएं विभिन्न प्रकार की अधातुओं जैसे- ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, क्लोरीन, सल्फर आदि से प्रतिक्रिया कर यौगिकों का निर्माण करती है। अधिक अभिक्रियाशील धातुएं साधारण ताप पर जल से अभिक्रिया करती है जबकि, कम अभिक्रियाशील धातुएं जल या भाप के साथ गर्म किए जाने पर अभिक्रिया करती है। धातुएं अम्ल एवं क्षारों से भी अभिक्रिया करती हैं।