वैयुत् रसायन (Electro Chemistry): वैद्युत्-रसायन, रसायन विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत उन रासायनिक अभिक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, जो विद्युत् धारा प्रवाहित करने के फलस्वरूप घटित होती है।
वैद्युत् अपघट्य एवं वैद्युत् अनपघट्य (Electrolytes and Non-Electrolytes): वे यौगिक जो द्रवित अवस्था या जलीय घोल की अवस्था में विद्युत् के चालक होते हैं, वैद्युत् अपघट्य कहलाते हैं, जैसे- अम्ल क्षार और लवण वैद्युत् अपघट्य होते हैं। वे यौगिक जो द्रवित अवस्था या जलीय घोल की अवस्था में विद्युत् के अचालक होते हैं, वैद्युत् अनपघट्य कहलाते हैं। जैसे- चीनी, यूरिया, क्लोरोफॉर्म आदि।
वैद्युत अपघटन (Electrolysis): किसी यौगिक की द्रवित अवस्था या घोल की अवस्था में विद्युत् धारा प्रवाहित कर अपघटित करने की क्रिया को वैद्युत् अपघटन कहते हैं।
वैयुत अपघटनी सेल (Electrolytic Cell): जिस बर्तन में वैद्युत् अपघट्य का घोल लेकर वैद्युत् अपघटन की क्रिया सम्पन्न करायी जाती है, उसे वैद्युत् अपघटनी सेल कहते हैं। इस सेल में धातु की दो प्लेटें या तार डुबा दिए जाते हैं, जिन्हें, इलेक्ट्रोड (Electrode) कहते हैं। ये इलेक्ट्रोड किसी बैटरी के ध्रुवों से जोड़ दिए जाते हैं, जो इलेक्ट्रोड बैटरी के धन-ध्रुव से जोड़ा जाता है, उसे कैथोड (Cathode) कहते हैं। घोल में वैद्युत् अपघट्य अंशतः या पूर्णतः विघटित होकर आवेशयुक्त परमाणुओं या मूलकों में टूट जाते हैं, जिन्हें आयन (Ions) कहते हैं। धन आवेशयुक्त आयन को धनायन (Cation) तथा ऋण आवेशयुक्त आयन को ऋणायन (Anion) कहते हैं। विद्युत् धारा प्रवाहित करने पर धनायन कैथोड पर और ऋणायन एनोड पर मुक्त होते हैं। कैथोड पर अवकरण (Reduction) तथा एनेाड पर ऑक्सीकरण (Oxidation) की प्रतिक्रिया होती है।
वैद्युत् अपघटन सम्बन्धी फैराडे के नियम (Faraday’s Law of Electrolysis): अनेक प्रयोगों के आधार पर 1832 ई० में माइकल फैराडे ने वैद्युत् अपघटन के सम्बन्ध में दो नियमों की घोषणा की जिन्हें फैराडे के वैद्युत् अपघटन के नियम कहते हैं।
प्रथम नियम: वैद्युत् अपघटन में प्रत्येक इलेक्ट्रोड पर मुक्त होने वाले पदार्थ की मात्रा घोल में से प्रवाहित होने वाली विद्युत्-धारा के परिमाण के अनुपात में होती है।
द्वितीय नियम: यदि श्रेणीक्रम (series) में जोड़ गए कई वैद्युत् अपघट्य के घोलों से होकर एक ही विद्युत् धारा प्रवाहित की जाए तो मुक्त होने वाले पदार्थों की मात्राएँ उनके रासायनिक तुल्यांकों के समानुपाती होती है।
फैराड (Farad): 96494 कुलम्ब की विद्युत् धारा किसी घोल में से प्रवाहित करने पर पदार्थ का 1 तुल्यांकी भार मुक्त होता है। विद्युत् धारा के इस परिमाण को फैराडे (Faraday) कहते हैं।
अर्थात् 1 फैराडे (1F) =96494 कूलम्ब
वैयुत् अपघट्न के उपयोग
वैद्युत अपघटन के निम्नलिखित मुख्य उपयोग हैं-
(a) वियुत् लेपन में (Electro Plating): निम्नकोटि की धातु को सुरक्षित रखने या उसको आकर्षक बनाने के लिए उस पर एक उच्च कोटि की धातु की एक पतली अस्तर चढ़ाने की क्रिया को विद्युत् लेपन कहते हैं।
(b) विद्युत् मुद्रण (Electro-Typing) में: मुद्रण उद्योग में काम आने वाले ब्लॉक (Blocks) वैद्युत् अपघटन विधि से ही तैयार किये जाते हैं।
(c) धातुओं के विद्युत् शोधन में (Electro Refining of Metals): कई धातुएँ जैसे-ताँबा, चाँदी, सोना इत्यादि वैद्युत् अपघटन क्रिया द्वारा ही शुद्ध रूप में प्राप्त की जाती हैं।
(d) विद्युत् धातुकर्म विज्ञान में (Electrometailurgy): अनेक धातुओं जैसे-सोडियम, पोटैशियम ऐलुमिनियम, कैल्सियम, मैग्नीशियम आदि को उनके यौगिकों का वैद्युत् अपघटन करके निष्कर्षित किया जाता है।
(e) धातुओं के तुल्यांकी भार ज्ञात करने में।
(f) रासायनिक यौगिकों के निर्माण में: वैद्युत् अपघटन द्वारा अनेक औषधियाँ एवं कार्बनिक तथा अकार्बनिक यौगिक तैयार किये जाते हैं। उदाहरण के लिए सोडा, कास्टिक सोडा, हाइड्रोजन पेरोक्साइड, क्लोरोफॉर्म, आयडोफार्म, ऐथेन, ऐसीटिलीन आदि इसी विधि से तैयार किये जाते हैं।
गैल्वेनिक सेल (Galvanie Cell)– गैल्वेनिक सेल वह युक्ति है, जिसके द्वारा रासायनिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। उदाहरण के लिए, डेनियल सेल (Daniel Cell) एक प्रारूपी गैल्वेनिक सेल है। इस सेल में एक पात्र होता है, जिसमें CuSO4 का सान्द्र घोल भरा रहता है और इसमें ताँबे की एक छड़ डूबी रहती है, इसके अंदर एक सरन्ध्र पात्र रहता है, जिसमें तनु सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) भरा रहता है और इसमें एक जस्ते की छड़ डूबी रहती है। जब जस्ते की छड़ तथा ताँबे की छड़ को एक तार से जोड़ देते हैं, तो विद्युत् धारा प्रवाहित होने लगती है। इस सेल में जस्ते की छड़ पर ऑक्सीकरण प्रतिक्रिया तथा ताँबे की छड़ पर अवकरण प्रतिक्रिया होती है।
इलेक्ट्रोड (Electrodes): प्रत्येक सेल दो भागों का बना होता है। प्रत्येक को अर्द्धसेल (Half Cell) या इलेक्ट्रोड (Electrode) कहते हैं। एक इलेक्ट्रोड पर ऑक्सीकरण तथा दूसरे इलेक्ट्रोड पर अवकरण प्रतिक्रिया होती है। जिस इलेक्ट्रोड पर ऑक्सीकरण प्रतिक्रिया होती है, उसको ऐनोड (Anode) तथा जिस इलेक्ट्रोड पर अवकरण प्रतिक्रिया होती है, उसकी कैथोड (Cathode) कहा जाता है। डेनियल सेल में जस्ता, ऐनोड तथा कॉपर, कैथोड होता है।