संशोधित केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) का शुभारंभ
खबरों में
केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस), राष्ट्रीय आरोग्य निधि (आरएएन) की अम्ब्रेला योजनाएं और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के आईटी प्लेटफॉर्म पर विवेकाधीन अनुदान (एचएमडीजी) को हाल ही में लॉन्च किया गया था।
मंत्रालय: स्वास्थ्य मंत्रालय
उद्देश्य: कैशलेस, पेपरलेस और नागरिक केंद्रित सेवाएं प्रदान करना।
केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस):
- यह सेवारत कर्मचारियों, पेंशनभोगियों, संसद सदस्यों, पूर्व सांसदों आदि और उनके आश्रित परिवार के सदस्यों के लिए एक व्यापक स्वास्थ्य योजना है।
- पिछले 7 वर्षों के दौरान इसका विस्तार 72 शहरों तक हो गया है।
- एनआईसी द्वारा विकसित ई-रेफरल मॉड्यूल ने सीजीएचएस औषधालयों और वेलनेस सेंटरों को पैनल में शामिल अस्पतालों को ऑनलाइन रेफरल जारी करने में सक्षम बनाया है।
राष्ट्रीय आरोग्य निधि (आरएएन)
- RAN के तहत गंभीर जानलेवा बीमारियों से पीड़ित गरीब मरीजों को सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए 15 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता दी जाती है।
- आरएएन के तहत सेवाओं का लाभ उठाने के लिए पात्रता मानदंड राज्य/संघ राज्य क्षेत्र-वार बीपीएल सीमा पर आधारित थे।
स्वास्थ्य मंत्री विवेकाधीन अनुदान (HMDG)
- एचएमडीजी के तहत उन रोगियों को अधिकतम 1.25 लाख रुपये प्रदान किए जाते हैं जिनकी वार्षिक आय 1.25 लाख रुपये से कम है।
- लाभार्थी अपना राशन कार्ड नंबर प्रदान करके दोनों योजनाओं के तहत वित्तीय सहायता के लिए आवेदन कर सकते हैं
CSIR ने पानी को कीटाणुरहित करने के लिए ‘SWASTIIK’ प्रौद्योगिकी विकसित की
CSIR-National Chemical Laboratory (CSIR-NCL), पुणे ने प्राकृतिक तेलों का उपयोग करके पानी कीटाणुरहित करने के लिए SWASTIIK नामक एक नई तकनीक शुरू की है। इसे इसलिए लॉन्च किया गया था, क्योंकि जल जनित बीमारियों ने भारत में बीमारियों का बोझ बढ़ा दिया है।
SWASTIIK
- पानी से होने वाली बीमारियों का कारण बनने वाले रोगजनक सूक्ष्मजीवों को हटाने के लिए पानी का कीटाणुशोधन आवश्यक है। लेकिन, पानी को कीटाणुरहित करने के लिए क्लोरीनीकरण जैसे रासायनिक तरीके हानिकारक या कार्सिनोजेनिक उपोत्पाद उत्पन्न करते हैं।
- इस प्रकार, SWASTIIK तकनीक विकसित की गई जो दबाव में कमी के परिणामस्वरूप तरल को उबालती है। यह विधि पानी कीटाणुरहित करने के लिए रोगाणुरोधी गुणों वाले प्राकृतिक तेलों का उपयोग करती है।
पृष्ठभूमि
यह तकनीक राष्ट्रीय जल जीवन मिशन (National Jal Jeevan Mission – NJJM) की पृष्ठभूमि में विकसित की गई थी, जिसने हाल ही में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पानी की गुणवत्ता की निगरानी और सर्वेक्षण करने और बढ़ते कोविड-19 मामलों के बीच पीने योग्य पानी सुनिश्चित करने के लिए एक एडवाइजरी जारी की थी।
स्वास्तिक प्रौद्योगिकी (SWASTIIK Technology)
यह विधि सस्ते में हानिकारक बैक्टीरिया और एंटीबायोटिक प्रतिरोधी उपभेदों को खत्म कर सकती है। यह आयुर्वेद के भारतीय पारंपरिक ज्ञान को पानी कीटाणुरहित करने और प्राकृतिक तेलों के संभावित स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने के लिए एकीकृत करती है। यह हाइड्रोडायनामिक केविटेशन; पानी कीटाणुरहित करने के लिए प्राकृतिक तेल और पौधों के अर्क जैसे प्राकृतिक संसाधनों के साथ रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान और रासायनिक इंजीनियरिंग का उपयोग करती है।
SATAT पहल को प्रमुख प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए पहल शुरू की गई
केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री ने एक आभासी समारोह में SATAT पहल को एक प्रमुख प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए कई पहल शुरू कीं।
महत्वपूर्ण मूल्यवर्धन
- SATAT योजना का उद्देश्य: कंप्रेस्ड बायो-गैस (CBG) उत्पादन संयंत्र स्थापित करना और CBG को हरित ईंधन के रूप में उपयोग के लिए बाजार में उपलब्ध कराना।
- ‘सैटैट’ का लक्ष्य 2023 तक 5000 संयंत्रों से 15 एमएमटी सीबीजी के उत्पादन का लक्ष्य है।
- इसमें किफायती परिवहन ईंधन, कृषि अवशेषों, मवेशियों के गोबर और नगरपालिका के ठोस कचरे के बेहतर उपयोग की उपलब्धता को बढ़ावा देने की क्षमता है।
- यह 1.75 लाख करोड़ का निवेश, किसानों को एक अतिरिक्त राजस्व स्रोत, और 75,000 प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर और लाखों अप्रत्यक्ष रोजगार भी प्रदान करेगा।
विश्व दुग्ध दिवस
संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा प्रतिवर्ष 1 जून को ‘विश्व दुग्ध दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस की शुरुआत वर्ष 2001 में की गई थी और इसका प्राथमिक लक्ष्य समाज के योगदान में डेयरी किसानों और डेयरी क्षेत्र के योगदान की सराहना करना तथा वैश्विक भोजन के रूप में दूध के महत्त्व को रेखांकित करना है। डेयरी क्षेत्र भारत में लाखों लोगों की आजीविका का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। कोविड-19 महामारी के बीच विश्व दुग्ध दिवस-2021 की थीम मुख्यतः पर्यावरण, पोषण और सामाजिक-आर्थिक सशक्तीकरण के साथ-साथ डेयरी क्षेत्र में स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करती है। ज्ञात हो कि भारत में प्रतिवर्ष 26 नवंबर को श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन के जन्मदिन को ‘राष्ट्रीय दुग्ध दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। भारत, विश्व में दूध के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। वर्ष 1955 में भारत का मक्खन आयात 500 टन था और वर्ष 1975 तक दूध एवं दूध उत्पादों का सभी प्रकार का आयात लगभग शून्य हो गया, क्योंकि इस समय तक भारत दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया था। दुग्ध उत्पादन में भारत की सफलता में सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका डॉ. वर्गीज कुरियन की रही, जिन्हें भारत में ‘श्वेत क्रांति के जनक’ के रूप में जाना जाता है। उनके मार्गदर्शन में भारत में कई महत्त्वपूर्ण संस्थाओं जैसे- गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड आदि का गठन किया गया।
कैबिनेट ने मॉडल टेनेंसी एक्ट (Model Tenancy Act) को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नए कानून बनाकर या मौजूदा रेंटल कानूनों में आवश्यकतानुसार संशोधन करके अनुकूलन के लिए “मॉडल टेनेंसी एक्ट” को मंजूरी दे दी है।
मुख्य बिंदु
- यह अधिनियम भारत में किराये के आवास पर कानूनी ढांचे के पुनर्निर्माण में मदद करेगा जो बदले में समग्र विकास को बढ़ावा देगा।
- एक जीवंत, सतत और समावेशी किराये के आवास बाजार बनाने के उद्देश्य से यह अधिनियम पारित किया गया था।
- यह सभी आय समूहों के लिए पर्याप्त किराये के आवास स्टॉक बनाने में मदद करेगा और बेघरों के मुद्दे को संबोधित करेगा।
- यह किराये के आवास को औपचारिक बाजार की ओर स्थानांतरित करके संस्थागतकरण को सक्षम करेगा।
- यह किराये के आवास के प्रयोजनों के लिए खाली मकानों को खोलने की सुविधा प्रदान करता है और एक व्यवसाय मॉडल के रूप में किराये के आवास में निजी भागीदारी को बढ़ावा देता है। इससे आवास की भारी कमी को दूर करने में मदद मिलेगी।
मॉडल टेनेंसी एक्ट क्या है?
मॉडल किरायेदारी अधिनियम, 2019 भारत में एक किरायेदारी कानून है, इसे किरायेदारी बाजार के पुनर्निर्माण के लिए डिज़ाइन किया गया था। इस अधिनियम के निर्माण की घोषणा पहली बार 2019 के बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की थी। यह भारत के पुराने किराये से सम्बन्धी कानूनों को बदलने और आवास की कम उपलब्धता को हल करने का प्रयास करता है। इस अधिनियम “2022 तक सभी के लिए आवास” के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा।
‘NGC 691’ सर्पिल आकाशगंगा
हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के हबल स्पेस टेलीस्कोप ने ‘NGC 691’ नामक एक सर्पिल आकाशगंगा की तस्वीर खींची है। ‘NGC 691’ एक सर्पिल आकाशगंगा है, जो पृथ्वी से लगभग 125 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। इस आकाशगंगा की खोज जर्मनी में जन्मे ब्रिटिश खगोलशास्त्री विलियम हर्शल ने 13 नवंबर, 1786 को की थी। यह ‘NGC 691 समूह’ का सबसे प्रमुख सदस्य है, जो विभिन्न आकृतियों और रंगों की नौ आकाशगंगाओं का संग्रह है। ‘NGC 691’ को ‘LEDA 6793’, ‘UGC 1305’ और ‘TC 448’ के रूप में भी जाना जाता है और इसका कुल व्यास लगभग 130,000 प्रकाश-वर्ष है। इसमें मल्टीपल रिंग स्ट्रक्चर मौजूद है, जिसमें तीन रिगों की पहचान इंफ्रारेड लाइट के रूप में की गई है। इस आकाशगंगा की तस्वीर हबल के ‘वाइड फील्ड कैमरा-3’ (WFC3) से ली गई गई। हबल स्पेस टेलीस्कोप एक बड़ी अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है, जिसे 1990 में अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा लॉन्च किया गया था। वैज्ञानिकों द्वारा हबल टेलीस्कोप का उपयोग सबसे दूर स्थित सितारों और आकाशगंगाओं के साथ-साथ हमारे सौरमंडल के ग्रहों को देखने एवं उनका अवलोकन करने के लिये किया जाता रहा है।
ब्रिक्स विदेश मंत्रियों ने की वर्चुअल बैठक आयोजित की गयी
ब्रिक्स के विदेश मंत्रियों की बैठक वर्चुअली 1 जून, 2021 को आयोजित की गयी।
बैठक का एजेंडा
- मंत्रियों की इस बैठक के दौरान, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने उन महत्वपूर्ण सिद्धांतों पर प्रकाश डाला जो ब्रिक्स का मार्गदर्शन करते हैं।
- उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का भी उल्लेख किया जो सभी देशों की संप्रभु समानता को मान्यता देता है और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है।
- उनके अनुसार, इन सिद्धांतों के अनुरूप नीतियों के संचालन से ही वांछित परिवर्तन प्राप्त किया जा सकता है।
बैठक की मेजबानी किसने की?
ब्रिक्स बैठक की मेजबानी ब्रिक्स के अध्यक्ष के रूप में भारत ने की थी। इसमें रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Sergey Lavrov); चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi); दक्षिण अफ्रीका के अंतर्राष्ट्रीय संबंध मंत्री, ग्रेस नलेदी मंडिसा पंडोर (Grace Naledi Mandisa Pandor); और ब्राजील के विदेश मंत्री कार्लोस अल्बर्टो फ्रेंको (Carlos Alberto Franco) ने भाग लिया।
बैठक का महत्व
ब्रिक्स के विदेश मंत्री पहली बार, “बहुपक्षीय प्रणाली में सुधार” के सामान्य लक्ष्य पर सहमत हुए हैं। वे इस बात पर भी सहमत हुए कि इस तरह के सुधार में सभी प्रमुख बहुपक्षीय संस्थानों को शामिल किया जाना चाहिए, जिनमें शामिल हैं-
- संयुक्त राष्ट्र और उसके प्रमुख अंग जैसे संयुक्त राष्ट्र महासभा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद आदि।
- अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संरचना जैसे IMF और विश्व बैंक
- बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली जैसे विश्व व्यापार संगठन और UNCTAD
- WHO के साथ वैश्विक स्वास्थ्य शासन प्रणाली।