खरीफ 2021 में दलहन की खेती के लिए रणनीति
दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने खरीफ 2021 के मौसम के दौरान कार्यान्वयन के लिए एक विशेष खरीफ रणनीति तैयार की है।
तूर, मूंग और उड़द दोनों के लिए क्षेत्र विस्तार और उत्पादकता बढ़ाने के लिए एक विस्तृत योजना तैयार की गई है।
रणनीति के तहत, उच्च उपज वाली किस्मों (HYVs) को इंटरकोपिंग और एकमात्र फसल के माध्यम से क्षेत्र को बढ़ाने के लिए मुफ्त में वितरित किया जाएगा।
यह 2020-21 की तुलना में लगभग 10 गुना अधिक बीज मिनी किट वितरित करने का प्रस्ताव है, जिसकी राशि रु। 82.01 करोड़।
इन मिनी किट्स का कुल खर्च केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा
किसानों को प्रभावी कार्यान्वयन और प्रशिक्षण के लिए कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (ATARI) और कृषि विज्ञान केंद्र भी बनाए जाएंगे
रवींद्रनाथ टैगोर
07 मई, 2021 को देशभर में विश्व प्रसिद्ध कवि, साहित्यकार और दार्शनिक रवींद्रनाथ टैगोर की 160वीं जयंती मनाई गई। रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 07 मई, 1861 को ब्रिटिश भारत में बंगाल प्रेसीडेंसी के कलकत्ता (अब कोलकाता) को हुआ था। उनके बचपन का नाम रोबिंद्रोनाथ ठाकुर था। बहुमुखी प्रतिभा के धनी रवींद्रनाथ टैगोर ने बंगाली साहित्य और संगीत को काफी महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया। इसके अलावा उन्होंने 19वीं सदी के अंत एवं 20वीं शताब्दी की शुरुआत में प्रासंगिक आधुनिकतावाद के साथ भारतीय कला का पुनरुत्थान किया। रवींद्रनाथ टैगोर एक नीतिज्ञ, कवि, संगीतकार, कलाकार एवं आयुर्वेद-शोधकर्त्ता भी थे। उन्होंने मात्र 8 वर्ष की आयु में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था और 16 वर्ष की आयु में उनका पहला कविता संग्रह प्रकाशित किया था। रवींद्रनाथ टैगोर का मानना था कि उचित शिक्षा तथ्यों की व्याख्या नहीं करती है, बल्कि जिज्ञासा को बढ़ाती है। रवींद्रनाथ टैगोर को उनकी काव्यरचना ‘गीतांजलि’ के लिये वर्ष 1913 में साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया था और इस तरह वह नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले गैर-यूरोपीय थे। ‘गीतांजलि’ को मूल रूप से बंगाली भाषा में लिखा गया था और बाद में इसका अंग्रेज़ी में अनुवाद किया गया। भारतीय राष्ट्रगान (जन गण मन) के बांग्लादेश का राष्ट्रगान (आमार सोनार बांग्ला) भी उनके द्वारा ही रचित है। श्रीलंका के राष्ट्रगान को भी उनकी रचनाओं से प्रेरित माना जाता है। ज्ञात हो कि रवींद्रनाथ टैगोर ने ही महात्मा गांधी को ‘महात्मा’ की उपाधि दी थी।
न्यायालय की कार्यवाही पर मीडिया को रिपोर्ट करने का अधिकार : सर्वोच्च न्यायालय
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने मीडिया को न्यायिक कार्यवाही के दौरान टिप्पणियों की रिपोर्टिंग करने से रोकने के लिये भारतीय चुनाव आयोग (ECI) द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि मीडिया को अदालती सुनवाई के दौरान न्यायाधीशों द्वारा की गई चर्चाओं और मौखिक टिप्पणियों की रिपोर्टिंग से प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है।
- सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, अदालती सुनवाई का मीडिया कवरेज़ प्रेस की स्वतंत्रता का हिस्सा है, इसका नागरिकों के सूचना के अधिकार तथा न्यायपालिका की जवाबदेही पर भी असर पड़ता है।
वाक्-स्वतंत्रता या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता:
- न्यायाधीशों और वकीलों के बीच अदालतों में मौखिक आदान-प्रदान सहित अदालती कार्यवाही की यथासमय रिपोर्ट करना, वाक्-स्वतंत्रता या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का हिस्सा है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत लिखित और मौखिक रूप से अपना मत प्रकट करने हेतु वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान की गई है।
- प्रौद्योगिकी के आगमन के साथ, विभिन्न सोशल मीडिया मंचों के माध्यम से रिपोर्टिंग का प्रसार हुआ हैऔर इन मंचो से लोगों को सुनवाई के संदर्भ में व्यापक स्तर पर रियल-टाइम अपडेट प्राप्त हुए हैं। यह वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का एक विस्तार है जो मीडिया के लिये भी उपलब्ध है।
- यह खुली अदालत की अवधारणा का एक आभासी (virtual) विस्तार है।
- बाल यौन शोषण और वैवाहिक मुद्दों संबंधी मामलों को छोड़कर, अन्य मामलों में मुक्त प्रेस की अवधारणा को अदालती कार्यवाही तक विस्तारित किया जाना चाहिये।
ओपन कोर्ट अथवा खुली अदालत में सुनवाई की व्यवहार्यता:
- खुली अदालत यह सुनिश्चित करती है कि न्यायिक प्रक्रिया सार्वजनिक जाँच के अधीन है जो पारदर्शिता और जवाबदेही को बनाए रखने के लिये महत्त्वपूर्ण है और लोकतांत्रिक संस्थाओं के कामकाज में पारदर्शिता लोगों में विश्वास स्थापित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- एक खुली अदालत प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि न्यायाधीश कानून के अनुसार और ईमानदारी के साथ कार्य करते हैं।
- अदालतों के समक्ष आने वाले मामले विधायिका और कार्यपालिका की गतिविधियों के बारे में सार्वजनिक जानकारी के महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं।
- खुली अदालत एक शैक्षिक उद्देश्य के रूप में भी कार्य करती है। न्यायालय नागरिकों को यह जानने के लिये एक मंच बन जाता है कि कानून का व्यावहारिक अनुप्रयोग उनके अधिकारों पर क्या प्रभाव डालता है।
सामाजिक सुरक्षा संहिता की धारा 142 – 2020
सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 की धारा 142 को आधार की प्रयोज्यता को शामिल करते हुए श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किया गया है।
अनुभाग की अधिसूचना मंत्रालय को विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत लाभार्थियों के डेटाबेस के लिए आधार विवरण एकत्र करने में सक्षम करेगी।
असंगठित श्रमिकों के लिए राष्ट्रीय डेटा बेस (NDUW) राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र द्वारा विकास के एक उन्नत चरण में है
यह पोर्टल सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ देने के उद्देश्य से प्रवासी श्रमिकों सहित असंगठित श्रमिकों के लिए डेटा एकत्र करने के उद्देश्य से है।
एक अंतर-राज्य प्रवासी कार्यकर्ता केवल आधार प्रस्तुत करने के आधार पर पोर्टल पर अपना पंजीकरण कर सकता है।
भारत – ब्रिटेन प्रवासन और गतिशीलता भागीदारी पर समझौता ज्ञापन
मंत्रिमंडल ने प्रवासन और गतिशीलता भागीदारी पर भारत और यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड के बीच समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और ग्रेट ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड के बीच प्रवासन और गतिशीलता भागीदारी पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दी है।
उद्देश्य: (1) छात्रों, शोधकर्ताओं और कुशल पेशेवरों की गतिशीलता को बढ़ावा देने वाले वीजा जारी करना; (२) दोनों पक्षों के बीच अनियमित प्रवासन और मानव तस्करी से संबंधित मुद्दों पर सहयोग को मजबूत करना।
यह एमओयू प्रतिभा के मुक्त प्रवाह की सुविधा प्रदान करके दोनों देशों में नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन कर सकता है।
विदेश मंत्रालय संयुक्त कार्य समूह तंत्र के माध्यम से समझौता ज्ञापन के प्रभावी कार्यान्वयन की बारीकी से निगरानी करेगा।
सोशल स्टॉक एक्सचेंज पर रिपोर्ट
चर्चा में क्यों?
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) पर गठित एक तकनीकी समूह ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है।
- सितंबर, 2020 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने नाबार्ड (NABARD) के पूर्व अध्यक्ष हर्ष भानवाला की अध्यक्षता में सोशल स्टॉक एक्सचेंज पर तकनीकी समूह का गठन किया था।
- इससे पूर्व इशात हुसैन की अध्यक्षता में सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) पर एक कार्यकारी समूह (WG) का गठन भी किया गया था, जिसने जून 2020 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।
प्रमुख बिंदु
सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) के विषय में:
- संघीय बजट 2019-20 में पूंजी निर्माण के लिये सामाजिक उद्यम, स्वैच्छिक और कल्याणकारी संगठनों को सूचीबद्ध करते हुए सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) को एक मंच के रूप में गठित करने का प्रस्ताव रखा गया था।
- सामाजिक उद्यम को एक ऐसी गैर-लाभांश भुगतान कंपनी के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसे किसी एक विशिष्ट सामाजिक समस्या को संबोधित करने के लिये स्थापित किया गया हो।
- इसे SEBI के विनियामक दायरे के तहत गठित करने का प्रस्ताव दिया गया था।
- इस पहल का उद्देश्य सामाजिक समस्याओं के समाधान हेतु इक्विटी या ऋण या म्यूचुअल फंड की एक इकाई के रूप में पूंजी निर्माण कार्यों में संलग्न सामाजिक और स्वैच्छिक संगठनों की सहायता करना हैं।
- सिंगापुर, ब्रिटेन, कनाडा जैसे देशों में SSE पहले से ही स्थापित है। ये देश स्वास्थ्य, पर्यावरण और परिवहन जैसे क्षेत्रों में संचालित फर्मों को SSE जे माध्यम से पूंजी निर्माण के लिये अनुमति देते हैं।