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- भारतीय संविधान का भाग 1 भारत को राज्यों का संघ घोषित करता है
- भारतीय संविधान के भाग 1 में वर्णित राज्यों की कुल संख्या 28 एवं केंद्रशासित प्रदेशों की संख्या 7 है
- अनुच्छेद 1 – भारत के राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेशों का संघ घोषित करता है
- अनुच्छेद 1 (1) – इसके द्वारा संविधान में हमारे देश को भारत अथवा इंडिया कह कर संबोधित किया गया है( संयुक्त राष्ट्र संघ में भी हमारे देश का नाम इंडिया ही है)
- अनुच्छेद 2 – यह धारा भारतीय संसद को नए राज्य का गठन करने की शक्ति प्रदान करती है
- अनुच्छेद 3 – यह धारा संसद को निम्नवत अधिकार प्रदान करती है –
- वह संसद दो या उससे अधिक राज्यों को मिलाकर एक राज्य बना सकती है वह किसी राज्य की सीमा को बढ़ाया घटा सकती है
- वह किसी राज्य के नाम को परिवर्तित कर सकती है पूर्व में नेफा का नाम बदलकर अरुणाचल प्रदेश संसद द्वारा ही किया गया
- उल्लेखनीय है कि शहरों के नाम में परिवर्तन का अधिकार संबंधित राज्य विधानमंडल को है मद्रास का चेन्नई कोलकाता का कोलकाता मुंबई का मुंबई नाम इन शहरों को संबंधित राज्यों के विधान मंडलो द्वारा ही दिया गया है
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- स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत ब्रिटिश प्रांत एवं देशी रियासतों को मिलाकर भारत में राज्यों की चार श्रेणियां निश्चित की गई
- श्रेणी A ब्रिटिश भारत के प्रांतों के साथ 216 देशी रियासतों को मिलाकर यह A श्रेणी के राज्यों का गठन किया गया – असम, बिहार, मुंबई, मध्य प्रदेश, मद्रास, उड़ीसा, पंजाब, संयुक्त प्रांत, पश्चिम बंगाल एवं आंध्र श्रेणी के राज्यों को पूर्ण स्वायत्ता प्रदान थी
- श्रेणी B – 275 देशी रियासतों को नहीं प्रशासनिक इकाई में गठित करके B राज्य की श्रेणी प्रदान की गई है राज्य से हैदराबाद, जम्मू कश्मीर, मध्य भारत, मैसूर, पेप्सू, राजस्थान, सौराष्ट्र तथा त्रावणकोर – कोचीन इनकी संख्या ‘8’ थी इस श्रेणी ऐसे राज्य थे जिन्हें कुछ दिनों तक संघ के अधीन रहकर स्वतंत्र होना था
- श्रेणी C – 61 देसी रियासतें को एकीकृत करके c राज्य की श्रेणी में रखा गया यह राज्य अजमेर, बिलासपुर, भोपाल, दुर्ग ,दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, कच्छ, मणिपुर, त्रिपुरा, एवं विंध्य प्रदेश के राज्य थे इनकी संख्या 10 थी तथा यह संघ शासित प्रदेश थे
- श्रेणी D – अंडमान तथा निकोबार दीप समूह को ‘डी’ श्रेणी में रखा गया यह भी एक संघ शासित राज्य है
- भारत के आधार पर सबसे पहले 1 अक्टूबर 1953 ईसवीं को आंध्र प्रदेश का गठन किया गया
- 1953 ईस्वी में फजल अली की अध्यक्षता में एक राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया गया
- राज्य पुनर्गठन आयोग में अध्यक्ष के अलावा दो सदस्य हृदयनाथ कुंजरू एवं के एम पणिक्कर भी थे
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- 22 दिसंबर 1953 को गठित फजल अली आयोग ने 30 सितंबर 1955 को केंद्र सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें राज्यों के पुनर्गठन के संबंध में सिफारिशें की
- राज्यों का पुनर्गठन भाषा एवं संस्कृति के आधार पर करना अनुचित है
- राज्यों का पुनर्गठन राष्ट्रीय सुरक्षा वित्तीय एवं प्रशासनिक आवश्यकता तथा पंचवर्षीय योजनाओं की सफलता को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए
- A, B, C वर्गों में विभाजित राज्यों को समाप्त कर दिया जाए तथा इनकी जगह 16 राज्यों एवं 3 केंद्र शासित प्रदेशों का निर्माण किया जाए
- 31 अगस्त 1956 को संसद ने आयोग की अनुशंसाएं मानते हुए 7 वां संविधान संशोधन अधिनियम पारित किया
- राज्यों की संख्या अब 14 थी एवं 5 केंद्र शासित प्रदेश थे
- हिमाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा 1970 ईस्वी में मिला
- राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 द्वारा एक नया राज्य केरल गठित हुआ
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- 1960 ईस्वी में मुंबई प्रांत को विभाजित कर दो नए राज्य गुजरात एवं महाराष्ट्र बनाए गए
- 1962 ईस्वी में नागालैंड का राज्य के रूप में गठन किया गया
- 1966 में पंजाब को पुनर्गठित कर पंजाब हरियाणा एवं चंडीगढ़( केंद्र शासित प्रदेश) बनाया गया
- 1972 ईस्वी में मणिपुर त्रिपुरा एवं मेघालय को राज्य का दर्जा दिया गया
- 1986 ईस्वी में मिजोरम एवं अरुणाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ
- 1987 ईस्वी में गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ
- वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश एवम बिहार को पुनर्गठित कर क्रमशः उत्तरांचल, छत्तीसगढ़ एवं झारखंड का निर्माण हुआ
- देशी रियासतों का एकीकरण
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- आजादी से पूर्व भारत राज्य क्षेत्र दो वर्गों बिट्रिश भारत एवं देशी रियासत में बटा हुआ था इन देशी राज्यों की कुल संख्या 600 थी इनमे से कोई 552 रियासतों का भारत संघ में विलय हुआ
- उपरोक्त में से तीन रियासतें हैदराबाद, जूनागढ़ एवं जम्मू कश्मीर को भारत में विलय करने में काफी मशक्कत हुई
- जूनागढ़ रियासत को भारत में जनमत संग्रह द्वारा मिलाया गया उसका नवाब पाकिस्तान में मिलने के पक्ष में था
- हैदराबाद रियासत को सैन्य कार्यवाही के द्वारा भारत में मिलाया गया
- जम्मू कश्मीर का विलय पाकिस्तान कबायली आक्रमण के बाद वहां के राजा द्वारा विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद हुआ
- इन तमाम विलयों में तत्कालीन गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल का सबसे बड़ा योगदान रहा
- एस के दर समिति
- संविधान सभा के अध्यक्ष डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 27 नवंबर 1947 को एस के दर( इलाहाबाद उच्चन्यायालय के सेनानिर्वत्त न्यायाधीश) की अध्यक्षता में भाषाई आधार पर राज्यों के गठन का मूल्यांकन करने हेतु गठित की
- समिती ने दिसंबर 1948 में सौंपी रिपोर्ट में राज्यों का पुनर्गठन प्रशासनिक आधार पर करने की अनुसंशा की
धारा 370 अपडेट
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक ऐसा लेख था जो जम्मू और कश्मीर को स्वायत्तता का दर्जा देता था। संविधान के भाग XXI में लेख का मसौदा तैयार किया गया है: अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान। जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा को, इसकी स्थापना के बाद, भारतीय संविधान के उन लेखों की सिफारिश करने का अधिकार दिया गया था जिन्हें राज्य में लागू किया जाना चाहिए या अनुच्छेद 370 को पूरी तरह से निरस्त करना चाहिए। बाद में जम्मू-कश्मीर संविधान सभा ने राज्य के संविधान का निर्माण किया और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की सिफारिश किए बिना खुद को भंग कर दिया, इस लेख को भारतीय संविधान की एक स्थायी विशेषता माना गया।
मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को राज्यसभा में एक ऐतिहासिक संकल्प पेश किया जिसमें जम्मू कश्मीर राज्य से संविधान का अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य का विभाजन जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के दो केंद्र शासित क्षेत्रों के रूप में करने का प्रस्ताव किया गया । जम्मू कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र में अपनी विधायिका होगी जबकि लद्दाख बिना विधायी वाली केंद्रशासित क्षेत्र होगा
केंद्र शासित प्रदेश क्या होता है? और भारत में केंद्र शासित प्रदेश क्यों हैं ?
भारतीय संविधान में प्रारूप के अनुसार भारत को राज्यों का संघ कहा जाता है,वर्तमान समय में भारत में 29 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेश हैं |राज्य का शासन उस राज्य की जनता द्वारा चुने गए मुख्यमंत्री के द्वारा किया जाता है |जबकि एक केंद्र शासित प्रदेश का शासन उस राज्य में केंद्र द्वारा नियुक्त प्रशासक या उपराज्यपाल के द्वारा किया जाता है |अंडमान और निकोबार द्वीप , दिल्ली और पुदुचेरी का शासन उपराज्यपाल के द्वारा किया जाता है.जबकि अन्य चार केंद्र शासित प्रदेशों का शासन प्रशासकों द्वारा किया जाता है.
क्या होता है केंद्र शासित प्रदेश ?
भारत में केंद्र शासित प्रदेश से तात्पर्य उन प्रदेशो से है जिनको कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण अन्य राज्यो में ना मिलाकर सीधा केंद्रीय सरकार द्वारा चलाया जाता है ।
क्या कारण है केंद्र शासित प्रदेश बनाने का ?
केंद्र शासित प्रदेश बनाने के पीछे कई कारण हैं संक्षिप्त में देखें तो –
- कम जनसँख्या और छोटा आकार – दिल्ली को छोडकर बाकी सभी केंद्र शासित प्रदेशों में आबादी बहुत कम है |
- अलग संस्कृति – भारत के कुछ राज्यों में विदेशी शासकों का शासन रहा है इस कारण वहां की संस्कृति पर अभी भी इन शासकों की संस्कृति के निशान बाकी हैं. इसके सबसे बड़े उदाहरणों में दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव (पुर्तगाली) और पुदुचेरी (फ्रेंच) को लिया जा सकता है. पुदुचेरी के कुछ भाग तो फ्रेंच संस्कृति से इतने मिलते जुलते हैं
- प्रशासनिक महत्व – चंडीगढ़ पहले पंजाब का एक हिस्सा था. बाद में शाह आयोग की रिपोर्ट के बाद पंजाब को विभाजित किया गया और 1 नवम्बर 1966 को हरियाणा राज्य अस्तित्व में आया लेकिन चंडीगढ़ के प्रशासनिक महत्व के कारण कोई भी राज्य इसे छोड़ने को तैयार नही था जिसके कारण चंडीगढ़ को दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी बनाया गया था
- सामरिक महत्त्व का स्थान – लक्षद्वीप और अंडमान और निकोबार द्वीप हमारे देश के बहुत दूर पश्चिम और पूर्व छोर पर स्थित हैं इस कारण वे मुख्य भूमि से काफी दूर हैं इसलिए केंद्र सरकार के जरिये उन्हें सीधे नियंत्रित करना आसान है क्योंकि वे भारत के लिए रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं और किसी भी आपातकालीन स्थिति में भारत सरकार सीधे वहां कार्यवाही कर सकती है
- अन्य राज्यों से अधिक दूरी – दिल्ली, चंडीगढ़ और पुदुचेरी जैसे केंद्र शासित राज्यों के अलावा सभी केंद्र शासित प्रदेश अन्य राज्यों से बहुत दूर स्थित हैं; इस कारण इनके अन्य राज्यों के साथ बहुत घनिष्ठ आर्थिक और सामाजिक सम्बन्ध नही बन सकते हैं
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
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- दिल्ली के पास अपना उच्च न्यायालय, मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद होने के कारण इसे 1991 में अर्द्ध-राज्य का दर्जा दिया गया था |
- दमन और दीव पर पुर्तगीज का शासन था लेकिन सन 1961 में भारतीय सेना द्वारा इस पर बलपूर्वक कब्जा कर लिया गया और गोवा के साथ इसे भी केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया था लेकिन गोवा को 1987 में पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया था |
- दादरा और नगर हवेली पर 1779 तक मराठाओं का और फिर 1954 तक पुर्तगाली साम्राज्य का शासन था | इस प्रदेश को भारत में 11 अगस्त 1961 में शामिल किया गया था |