वर्ष 1920 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया असहयोग आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इस आंदोलन की मुख्य विशेषताएँ और उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं असहयोग आंदोलन वर्ष 1920 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया एक राजनीतिक अभियान था, जिसका उद्देश्य भारतीयों द्वारा ब्रिटिश सरकार को किये जाने वाले सहयोग को वापस लेना और उसे स्वशासन या स्वराज देने के लिये सहमत करना था।:
विशेषताएँ
- यह सत्य, अहिंसा और आत्मनिर्भरता के सिद्धांतों पर आधारित था।
- इसका उद्देश्य ब्रिटिश सरकार की संस्थाओं, वस्तुओं और सेवाओं का बहिष्कार करके ब्रिटिश सत्ता के प्रभाव को कमजोर करना था।
- इसमें भारतीय समाज के विभिन्न वर्ग जैसे छात्र, शिक्षक, वकील, किसान, श्रमिक, व्यापारी आदि शामिल हुए थे।
- इसे विभिन्न राजनीतिक दलों और समूहों जैसे कॉन्ग्रेस, खिलाफत समिति आदि का भी समर्थन प्राप्त था।
उपलब्धियाँ
- इस आंदोलन ने भारतीय जनता में राष्ट्रीय चेतना और एकता की भावना को जागृत किया।
- इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जनता की भागीदारी को बढ़ाया।
- इसने ब्रिटिश सरकार को झकझोर दिया और उसे भारतीयों के साथ समझौते के लिए मजबूर किया।
प्रभाव
असहयोग आंदोलन का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर गहरा प्रभाव पड़ा। इस आंदोलन ने भारतीयों में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष करने की इच्छाशक्ति को जन्म दिया। इस आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नया आयाम दिया और इसे एक जन आंदोलन में बदल दिया।
असहयोग आंदोलन के कुछ महत्वपूर्ण परिणाम निम्नलिखित हैं:
- इस आंदोलन के कारण अंग्रेजों को भारत में अपना शासन जारी रखने में कठिनाई हुई।
- इस आंदोलन ने भारत में स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा दिया।
- इस आंदोलन ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को एक मजबूत राष्ट्रीय संगठन के रूप में स्थापित किया।
असहयोग आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस आंदोलन ने भारतीयों में राष्ट्रीय चेतना और एकता की भावना को जागृत किया और उन्हें ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।