प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर की गई महत्वपूर्ण घोषणा के अनुरूप केन्द्र सरकार ने 1 जनवरी 2015 से, 1950 के दशक में स्थापित किए गए योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग (राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान) की स्थापना की। सरकार ने यह कदम राज्य सरकारों, विशेषज्ञों तथा प्रासंगिक संस्थानों सहित सभी हितधारकों से व्यापक विचार विमर्श के बाद उठाया है।
नीति आयोग विकास प्रक्रिया में निर्देश और रणनीतिक परामर्श देगा। केंद्र से राज्यों की तरफ चलने वाले एक पक्षीय नीतिगत क्रम को एक महत्वपूर्ण विकासवादी परिवर्तन के रुप में राज्यों की वास्तविक और सतत भागीदारी से बदल दिया जाएगा।
नीति आयोग राज्यों के साथ सतत आधार पर संरचनात्मक सहयोग की पहल और तंत्र के माध्यम से सहयोगपूर्ण संघवाद को बढ़ावा देगा।
नीति आयोग ग्राम स्तर पर विश्वसनीय योजना तैयार करने के लिए तंत्र विकसित करेगा और इसे उत्तरोत्तर उच्च स्तर तक पहुंचाएगा। आयोग राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, प्रैक्टिशनरों तथा अन्य हितधारकों के सहयोगात्मक समुदाय के जरिए ज्ञान, नवाचार, उद्यमशीलता सहायक प्रणाली बनाएगा।
इसके अतिरिक्त आयोग कार्यक्रमों और नीतियों के क्रियान्वयन के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन और क्षमता निर्माण पर जोर देगा।
आयोग निम्नलिखित उद्देश्यों की पूर्ति करेगा:
- नये भारत को एक प्रशासनिक बदलाव की जरूरत है, जिसमें सरकार एक ‘सक्षमकारी’ होगी न कि पहला और आखिरी सहारा।
- खाद्य सुरक्षा से आगे बढ़कर कृषि उत्पादन के मिश्रण तथा किसानों को उनकी उपज से मिलने वाले वास्तविक लाभ पर ध्यान केन्द्रित किया जायेगा।
- भारत समान विचार वाले वैश्विक मुद्दों, खासकर जिन क्षेत्रों पर अपेक्षाकृत कम ध्यान दिया गया है, पर बहसों और विचार-विमर्शों में एक सक्रिय भूमिका अदा करेगा।
- आर्थिक रूप से जीवंत मध्यवर्ग की भागीदारी बनाये रखने के लिए इसकी क्षमता का पूर्ण दोहन सुनिश्चित किया जायेगा।
- उद्यमशीलता, वैज्ञानिक और बौद्धिक मानव पूंजी के भारत के भंडार का लाभ उठाया जाएगा।
- प्रवासी भारतीय समुदाय की भौगोलिक-आर्थिक और भौगोलिक-राजनीतिक ताकत को शामिल किया जाएगा।
- आधुनिक टेकनोलाजी के इस्तेमाल से संपूर्ण और सुरक्षित आवास सुविधा के लिए अवसर के रूप में शहरीकरण का इस्तेमाल किया जाएगा।
- शासन में जटिलता और परेशानियों की संभावनाओं को कम करने के लिए प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया जाएगा।
नीति आयोग सरकार की एक बौद्धिक संस्थान की तरह काम करेगा। आयोग केंद्र और राज्य सरकारों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के आर्थिक मुद्दों सहित महत्वपूर्ण मुद्दों पर रणनीतिक और तकनीकी सलाह देगा।
नीति आयोग की सरंचना
नीति आयोग का गठन इस प्रकार होगा-
1. भारत के प्रधानमंत्री- अध्यक्ष।
2. गवर्निंग काउंसिल में राज्यों के मुख्यमंत्री और केन्द्रशासित प्रदेशों के उपराज्यपाल शामिल होंगे।
3. विशिष्ट मुद्दों और ऐसे आकस्मिक मामले, जिनका संबंध एक से अधिक राज्य या क्षेत्र से हो, को देखने के लिए क्षेत्रीय परिषद गठित की जाएंगी। ये परिषदें विशिष्ट कार्यकाल के लिए बनाई जाएंगी। भारत के प्रधानमंत्री के निर्देश पर क्षेत्रीय परिषदों की बैठक होगी और इनमें संबंधित क्षेत्र के राज्यों के मुख्यमंत्री और केन्द्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल शामिल होंगे (इनकी अध्यक्षता नीति आयोग के उपाध्यक्ष करेंगे)।
4. संबंधित कार्य क्षेत्र की जानकारी रखने वाले विशेषज्ञ और कार्यरत लोग, विशेष आमंत्रित के रुप में प्रधानमंत्री द्वारा नामित किए जाएंगे।
5. पूर्णकालिक संगठनात्मक ढांचे में (प्रधानमंत्री अध्यक्ष होने के अलावा) निम्न होंगे।
(i) उपाध्यक्षः प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त।
(ii) सदस्यः पूर्णकालिक (अधिकतम 5)
(iii) अंशकालिक सदस्यः अग्रणी विश्वविद्यालय शोध संस्थानों और संबंधित संस्थानों से अधिकतम दो पदेन सदस्य, अंशकालिक सदस्य बारी के आधार पर होंगे।
(iv) पदेन सदस्यः केन्द्रीय मंत्रिपरिषद से अधिकतम चार सदस्य प्रधानमंत्री द्वारा नामित होंगे। यदि बारी के आधार को प्राथमिकता दी जाती है तो यह नियुक्ति विशिष्ट कार्यकाल के लिए होंगी।
(v) मुख्य कार्यकारी अधिकारीः (CEO-Chief Executive Officer ) भारत सरकार के सचिव स्तर के अधिकारी को निश्चित कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त किया जाएगा।
(vi) सचिवालय आवश्यकता के अनुसार।
सदस्य Members
प्रधानमंत्री नीति आयोग के अध्यक्ष होंगे। खुले बाजार को समर्थन देने वाले अर्थशास्त्री अरविंद पनगढ़िया को नवगठित ‘नीति आयोग’ का पहला उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। 62 साल के पनगढ़िया भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री हैं और कोलंबिया विश्विद्यालय में प्रोफेसर हैं। वह एशियाई विकास बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री और कॉलेज पार्क मैरीलैंड के अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्र केंद्र में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और सह-निदेशक रह चुके हैं। प्रिंसटोन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी हासिल करने वाले पनगढ़िया विश्वबैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व व्यापार संगठन और व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (अंकटाड) में भी विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं।
अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय और डीआरडीओ के पूर्व प्रमुख वीके. सारस्वत को आयोग का पूर्णकालिक सदस्य नियुक्त किया है। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुरेश प्रभु और राधामोहन सिंह को आयोग का पदेन सदस्य तथा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, स्मृति जुबीन ईरानी और थावर चंद गहलोत को विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है।
पद | नाम |
उपाध्यक्ष | श्री अरविंद पनगढ़िया |
मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) | श्रीमती सिंधुश्री खुल्लर |
पूर्णकालिक सदस्य | श्री बिबेक देबरॉय, अर्थशास्त्री |
डॉ. वी. के. सारस्वत, पूर्व सचिव रक्षा आरएंडडी | |
पदेन सदस्य | श्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री |
श्री अरुण जेटली, केंद्रीय मंत्री | |
श्री सुरेश प्रभु, केंद्रीय मंत्री | |
श्री राधा मोहन सिंह, केंद्रीय मंत्री | |
विशेष आमंत्रित | श्री नितिन गडकरी, केंद्रीय मंत्री |
श्री थावर चंद गहलोत, केंद्रीय मंत्री | |
श्रीमती स्मृति इरानी, केंद्रीय मंत्री |