म्यांमार में भूकंप आने का कारण और भूकंप का विज्ञान: UPSC अभ्यर्थियों के लिए एक विश्लेषण

28 मार्च 2025 को म्यांमार में 7.7 और 7.0 तीव्रता के दो शक्तिशाली भूकंपों ने न केवल म्यांमार बल्कि थाईलैंड, भारत के पूर्वोत्तर हिस्सों और बांग्लादेश तक अपने झटके महसूस करवाए। इन घटनाओं ने एक बार फिर भूकंप के कारणों और इसके प्रभावों पर चर्चा को प्रासंगिक बना दिया है। यह लेख म्यांमार में भूकंप के विशिष्ट कारणों और सामान्य रूप से भूकंप क्यों आते हैं, इस पर प्रकाश डालता है। UPSC प्रीलिम्स और मेन्स (भूगोल, आपदा प्रबंधन) के दृष्टिकोण से यह टॉपिक बेहद महत्वपूर्ण है।

भूकंप क्या है?

भूकंप पृथ्वी की सतह का वह कंपन है जो इसके स्थलमंडल (लिथोस्फेयर) में संचित ऊर्जा के अचानक मुक्त होने से उत्पन्न होता है। यह ऊर्जा भूकंपीय तरंगों (Seismic Waves) के रूप में सभी दिशाओं में फैलती है, जिससे जमीन हिलती है। भूकंप का मापन रिक्टर स्केल या आधुनिक मॉमेंट मैग्निट्यूड स्केल (Mw) से किया जाता है।

म्यांमार में भूकंप का कारण

म्यांमार में हालिया भूकंप का मुख्य कारण सागाइंग फॉल्ट (Sagaing Fault) है, जो 1200 किलोमीटर लंबा एक प्रमुख स्ट्राइक-स्लिप फॉल्ट है। यह फॉल्ट भारतीय प्लेट और बर्मा माइक्रोप्लेट (जो सुंडा प्लेट का हिस्सा है) के बीच की सीमा पर स्थित है। इसके अलावा, क्षेत्र की भूकंपीय गतिविधि को समझने के लिए निम्नलिखित बिंदु महत्वपूर्ण हैं:

  1. टेक्टोनिक प्लेटों की गति:
    म्यांमार भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के अभिसरण क्षेत्र के पास स्थित है। भारतीय प्लेट उत्तर-पूर्व दिशा में प्रतिवर्ष 4-5 सेमी की दर से यूरेशियन प्लेट की ओर बढ़ रही है। यह टकराव हिमालय क्षेत्र में भूकंप का कारण बनता है, लेकिन म्यांमार में यह सागाइंग फॉल्ट के साथ साइडवेज मूवमेंट (लेटरल स्लिप) पैदा करता है।
  2. सागाइंग फॉल्ट की भूमिका:
    यह एक सक्रिय स्ट्राइक-स्लिप फॉल्ट है, जहाँ प्लेटें एक-दूसरे के समानांतर खिसकती हैं। 28 मार्च को आए भूकंप का केंद्र म्यांमार के मांडले क्षेत्र के पास था, जो इस फॉल्ट के मध्य भाग में स्थित है।
  3. एंडमान-सुमात्रा सबडक्शन जोन:
    म्यांमार के दक्षिणी हिस्से में भारतीय प्लेट बर्मा प्लेट के नीचे सबडक्शन (Subduction) करती है। यह प्रक्रिया भी समय-समय पर बड़े भूकंप और सुनामी का कारण बनती है, जैसे 2004 का हिंद महासागर भूकंप।
  4. मानवीय गतिविधियाँ:
    खनन और जलाशयों से प्रेरित भूकंपीयता (Reservoir-Induced Seismicity) छोटे भूकंपों का कारण बन सकती है, हालाँकि म्यांमार के हालिया भूकंप प्राकृतिक टेक्टोनिक प्रक्रियाओं से उत्पन्न हुए।

ग्राफिक सुझाव:

  • मानचित्र: म्यांमार और आसपास के क्षेत्र में सागाइंग फॉल्ट, भारतीय प्लेट, और यूरेशियन प्लेट की स्थिति दिखाने वाला एक रंगीन नक्शा।
  • कटाव चित्र (Cross-Section): स्ट्राइक-स्लिप फॉल्ट और सबडक्शन जोन की कार्यप्रणाली को दर्शाने वाला चित्र।

भूकंप क्यों आते हैं?

भूकंप के पीछे कई प्राकृतिक और मानव-प्रेरित कारण हो सकते हैं। यहाँ प्रमुख कारणों की सूची दी गई है:

कारणविवरणउदाहरण
टेक्टोनिक प्लेट गतिप्लेटों के टकराने, खिसकने या नीचे धंसने से ऊर्जा मुक्त होती है।म्यांमार, हिमालय क्षेत्र
ज्वालामुखी गतिविधिमैग्मा की हलचल से भूकंपीय तरंगें उत्पन्न होती हैं।जापान, इंडोनेशिया
भूस्खलनबड़े पैमाने पर मिट्टी/चट्टानों के खिसकने से छोटे भूकंप।पहाड़ी क्षेत्र
मानव-प्रेरितखनन, जलाशय भराई, या परमाणु परीक्षण से प्रेरित भूकंप।कोयना (1967, भारत)

टेबल विवरण:
यह टेबल विभिन्न कारणों को संक्षेप में दर्शाती है, जो UPSC नोट्स के लिए उपयोगी है।

भूकंप : क्या, क्यो और कैसे? – विज्ञान विश्व

म्यांमार भूकंप का प्रभाव

  • क्षति: मांडले में कई इमारतें ढह गईं, और थाईलैंड के बैंकॉक में निर्माणाधीन इमारत प्रभावित हुई।
  • आफ्टरशॉक्स: 4.0 तीव्रता के झटके बांग्लादेश और भारत के नॉर्थ-ईस्ट में महसूस किए गए।
  • आर्थिक नुकसान: आधारभूत संरचनाओं को नुकसान से म्यांमार की अर्थव्यवस्था पर बोझ बढ़ा।

ग्राफिक सुझाव:

  • बार चार्ट: म्यांमार में पिछले 50 वर्षों में आए प्रमुख भूकंपों की तीव्रता और प्रभाव को दर्शाने वाला चार्ट।

UPSC के लिए महत्व

  1. भूगोल: टेक्टोनिक प्लेट सिद्धांत और भूकंपीय क्षेत्रों का अध्ययन।
  2. आपदा प्रबंधन: भूकंप से निपटने के लिए नीति और तैयारी (NDMA दिशानिर्देश)।
  3. करंट अफेयर्स: म्यांमार भूकंप को क्षेत्रीय भू-राजनीति और भारत के साथ जोड़कर विश्लेषण।

निवारण के उपाय

  • भूकंप-रोधी भवन निर्माण (BIS कोड्स का पालन)।
  • आपातकालीन किट और चेतावनी प्रणाली।
  • जन जागरूकता और ड्रिल।

निष्कर्ष

म्यांमार में भूकंप सागाइंग फॉल्ट और टेक्टोनिक प्लेटों की जटिल गतिशीलता का परिणाम है। सामान्य रूप से भूकंप प्राकृतिक प्रक्रियाओं का हिस्सा हैं, जिन्हें रोका नहीं जा सकता, लेकिन सही तैयारी से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। UPSC अभ्यर्थियों के लिए यह टॉपिक स्टैटिक और डायनामिक दोनों पहलुओं को समझने का अवसर प्रदान करता है।

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