महासागरीय धाराओं के निर्माण में योगदान देने वाले प्राथमिक और द्वितीयक कारकों पर चर्चा कीजिये। ये कारक कैसे परस्पर अंतः क्रिया करते हैं तथा महासागरीय धाराओं की विशेषताओं को प्रभावित करते हैं, और इन अंतः क्रियाओं के वैश्विक निहितार्थ क्या हैं? UPSC NOTE

परिचय : महासागरीय धाराएँ सागरीय जल का निरंतर, दिशात्मक प्रवाह होती हैं, जो वायु, जल के घनत्व, ज्वार, पृथ्वी के...
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परिचय :

महासागरीय धाराएँ सागरीय जल का निरंतर, दिशात्मक प्रवाह होती हैं, जो वायु, जल के घनत्व, ज्वार, पृथ्वी के घूर्णन और महासागर बेसिन आकारमिति जैसे कारकों से आकार ग्रहण करती है। ये विश्व भर में जलवायु, पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित करते हुए सतह, गहरे जल, भूगर्भिक और ज्वारीय धाराओं का निर्माण करती हैं।

प्राथमिक कारक

महासागरीय धाराओं के निर्माण में योगदान देने वाले प्राथमिक कारक निम्नलिखित हैं:

  • सूर्य का प्रकाश: सूर्य का प्रकाश महासागरीय जल को गर्म करता है, जिससे इसका घनत्व कम होता है और यह ऊपर उठता है। ऊपर उठने वाला जल ठंडा होता है और इसका घनत्व अधिक होता है, जिससे यह नीचे की ओर बहता है। यह प्रक्रिया महासागरीय धाराओं के निर्माण का मूल कारण है।
  • पृथ्वी का घूर्णन: पृथ्वी का घूर्णन महासागरीय धाराओं को एक निश्चित दिशा में प्रवाहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पृथ्वी के घूर्णन के कारण, महासागरीय धाराएँ उत्तरी गोलार्द्ध में दाईं ओर और दक्षिणी गोलार्द्ध में बाईं ओर मुड़ जाती हैं।

द्वितीयक कारक

महासागरीय धाराओं के निर्माण में योगदान देने वाले द्वितीयक कारक निम्नलिखित हैं:

  • वायुमंडलीय दबाव: वायुमंडलीय दबाव महासागरीय धाराओं को प्रभावित करता है। उच्च वायुमंडलीय दबाव वाले क्षेत्रों में, हवा नीचे की ओर जाती है, जिससे महासागरीय जल ऊपर की ओर उठता है। निम्न वायुमंडलीय दबाव वाले क्षेत्रों में, हवा ऊपर की ओर जाती है, जिससे महासागरीय जल नीचे की ओर बहता है।
  • ज्वार और भाटा: ज्वार और भाटा महासागरीय धाराओं को प्रभावित करते हैं। ज्वार के दौरान, महासागरीय जल ऊपर की ओर उठता है, जिससे महासागरीय धाराएँ धीमी हो जाती हैं या रुक जाती हैं। भाटे के दौरान, महासागरीय जल नीचे की ओर बहता है, जिससे महासागरीय धाराएँ तेज हो जाती हैं।
  • भूगर्भीय संरचनाएं: महासागरीय धाराओं को भूगर्भीय संरचनाएं भी प्रभावित करती हैं। महासागरीय घाटियाँ और पर्वत महासागरीय धाराओं को मार्गदर्शन और संशोधित कर सकते हैं।

कारकों के बीच परस्पर क्रिया

महासागरीय धाराओं के निर्माण में योगदान देने वाले कारक एक-दूसरे के साथ परस्पर क्रिया करते हैं। उदाहरण के लिए, सूर्य का प्रकाश और पृथ्वी का घूर्णन मिलकर महासागरीय धाराओं के मूल पैटर्न को निर्धारित करते हैं। वायुमंडलीय दबाव, ज्वार और भाटा, और भूगर्भीय संरचनाएं महासागरीय धाराओं की विशेषताओं को प्रभावित करती हैं।

वैश्विक निहितार्थ

महासागरीय धाराएँ वैश्विक जलवायु को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे गर्म जल को एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में ले जाती हैं, जिससे जलवायु में असमानता पैदा होती है। उदाहरण के लिए, उत्तरी अटलांटिक महासागर में गर्म धाराएँ उत्तरी यूरोप को गर्म रखती हैं, जबकि ठंडी धाराएँ उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट को ठंडा रखती हैं।

महासागरीय धाराएँ पृथ्वी पर वर्षा और पाला को भी प्रभावित करती हैं। उदाहरण के लिए, गर्म धाराएँ वर्षा को बढ़ाती हैं, जबकि ठंडी धाराएँ वर्षा को कम करती हैं।

महासागरीय धाराएँ महासागरीय पारिस्थितिक तंत्र को भी प्रभावित करती हैं। गर्म धाराएँ पोषक तत्वों को सतह पर लाती हैं, जिससे समुद्री जीवन में वृद्धि होती है। ठंडी धाराएँ पोषक तत्वों को नीचे की ओर ले जाती हैं, जिससे समुद्री जीवन में कमी आती है।

कुल मिलाकर, महासागरीय धाराएँ वैश्विक जलवायु, वर्षा, पाला, और महासागरीय पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

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