मसालों की कृषि FOR UPSC IN HINDI

मसाले भारत मसालों और मसाला उत्पादों के मामले में दुनिया में सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है। देश में...
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मसाले

भारत मसालों और मसाला उत्पादों के मामले में दुनिया में सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है। देश में मसालों का वार्षिक उत्पादन 4.14 मिलियन टन है। भारत काली मिर्च, मिर्च, अदरख, इलायची, हल्दी आदि जैसे महलों की प्रचुर किस्में उगता है।

काली मिर्च

यह मसालों में संभवतः सबसे महत्वपूर्ण होती है। आर्द्र उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में इसकी खेती की जाती है। काली मिर्च के उत्पादन के लिए चिकनी दोमट मिट्टी को उपयुक्त समझा जाता है। जिन क्षेत्रों की वार्षिक वर्षा 2,500 मि.मी. हो तथा तापमान लगभग 10°C से 40°C तक हो, वहां इसकी खेती की जाती है। पश्चिमी घाट के ढाल, जहां लाल और लैटेराइट मिट्टी पाई जाती है, भी काली मिर्च के उत्पादन हेतु उपयुक्त स्थल है। भारत में काली मिर्च का उत्पादन मुख्यतः केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में होता है। केरल के कन्नूर, कोट्टायम, तिरुवनंतपुरम्, कोल्लम, कोझीकोड और एर्णाकुलम में खेती संकेन्द्रित है। कर्नाटक के उत्तरी और दक्षिणी कन्नड़, शिमोगा,  चिकमंगलूर और हसन जिले एवं कन्याकुमारी तथा तमिलनाडु में नीलगिरि जिले मुख्य उत्पादक हैं।

मिर्च:

यह छोटे पौधों की एक फली है, जिसका उत्पादन एशिया और अमेरिका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में होता है। पकी हुई सूखी मिर्च को लाल मिर्च कहा जाता है। भारत में मिर्च 17वीं शताब्दी में ब्राजील से आई। 600 से लेकर 1,250 मिलीमीटर के बीच वर्षा तथा 10°C से 30°C के बीच तापमान मिर्च के उत्पादन के लिए अत्यंत उपयुक्त है। भारी वर्षा और पाला फसल के लिए हानिकारक होता है। मिर्च का उत्पादन मुख्य रूप से काली कपासी मिट्टी में होता है और कहीं-कहीं भारी चिकनी दोमट मिट्टी में भी होता है। सिंचाई का समुचित प्रबंध होने पर इसका उत्पादन बलुई, हल्की कांप दोमट मिट्टी तथा लाल दोमट मिट्टी में भी होता है। कुछ क्षेत्रों को छोड़कर भारत के लगभग सभी प्रदेशों में मिर्च की खेती की जाती है। परंतु उनमें से मुख्य उत्पादनकर्ता हैं- तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र। अन्य उत्पादक क्षेत्रों में राजस्थान, बिहार, ओडीशा और उत्तर प्रदेश प्रमुख हैं।

इसे पेड़ की भीतरी छालों को सुखाकर बनाया जाता है। भारत में दालचीनी का उत्पादन केरल और कर्नाटक राज्यों में होता है।

लौंग:

यह लौंग के वृक्ष के फूल की सूखी कली होती है। दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में भी इसका उत्पादन होता है। भारत में कर्नाटक लौंग का प्रमुख उत्पादक राज्य है।

Spices Agriculture

इलायची: 

इसे मसालों की रानी के नाम से जाना जाता है। इसका प्रयोग मुख्य रूप से खाने का स्वाद बढ़ाने या औषधीय और चबाने के उद्देश्य से किया जाता है। इसके बीजों में बेहद सुगंधित तेल होता है। इलायची की उत्तम खेती 600 से 1,500 मीटर की ऊंचाई पर उष्णकटिबंधीय जंगलों में होती है। इलायची की खेती उन क्षेत्रों में होती है, जहां वर्षा का सही वितरण 1,500 मिलीमीटर से अधिक हो तथा तापमान 10°C से 35 °C तक हो। जंगली पौधे की छाया में इसके पौधों को लगाने से इसमें बहुत जल्दी वृद्धि होती है। इसकी फसल के लिए उपयुक्त मिट्टी है- दोमट और लाल मिट्टी तथा लाल, गहरी और अच्छी किस्म की लैटेराइट मिट्टी। भारत इलायची का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है। इस मसाले का उत्पादन मुख्य रूप से केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों में होता है।

अदरक:

यह धरती के नीचे पायी जाने वाली एक सुगंधित जड़ है। इसका उपयोग मसाले के साथ-साथ दवा के रूप में भी होता है। ऐसा माना जाता है कि अदरक की उत्पत्ति चीन में हुई थी। इसकी खेती के लिए उच्च तापमान और अत्यधिक वर्षा (1,250-2,500 मिलीमीटर) का होना आवश्यक होता है। पौधे में वृद्धि के लिए कुछ मात्रा में इन्हें छाया प्रदान करना अनुकूल होता है। अदरक की खेती के लिए सूखी भूमि अति उत्तम मानी जाती है। मालाबार तट पर पाई जाने वाली बलुई और चिकनी दोमट, लाल दोमट तथा लेटेराइट मिट्टी इसके उत्पादन के लिए आदर्श मिट्टियां हैं। भारत सूखी अदरक का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। भारत में केरल और मेघालय इसके प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। अदरक के कुल उत्पादन में अकेले केरल का 70 प्रतिशत योगदान है। हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडीशा अदरक के अन्य उत्पादक राज्य हैं।

हल्दी:

यह भी धरती के नीचे पायी जाने वाली एक प्रकार की जड़ है, जिसका उत्पत्ति स्थल भारत या चीन को माना जाता है। यह एक महत्वपूर्ण मसाला और उपयोगी रंग है। साथ ही इसका उपयोग दवा के निर्माण तथा सौंदर्य प्रसाधन उद्योग में भी किया जाता है। हल्दी की फसल के लिए मौसम का उष्ण और आर्द्र होना अत्यावश्यक होता है। पूर्वी तट के भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में इसकी फसल में वृद्धि बिना सिंचाई के हो जाती है जबकि अन्य क्षेत्रों में सिंचाई के बाद ही खेती संभव होती है। इसकी खेती के लिए उपजाऊ बलुई और चिकनी, काली और लाल जलोढ़, दोमट मिट्टी उपयोगी होती है। मोटी दोमट मिट्टी के लिए प्राकृतिक नाला और सिंचाई सुविधा सर्वोत्तम उपाय है। इसकी उपज तीव्र और क्षारीय जल-प्रवाह में असंभव होती है। हल्दी के उत्पादन में मुख्य योगदान आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु का है। भारत में इसके अन्य प्रमुख उत्पादक राज्य हैं- बिहार, ओडीशा, महाराष्ट्र, मेघालय और उत्तर प्रदेश।

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