उदभव
भारतीय संसदीय ग्रुप एक स्वायत्त निकाय है जिसका गठन 16 अगस्त, 1948 को संविधान सभा (विधायी) द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव के अनुसरण में वर्ष 1949 में किया गया था।
सदस्यता
सभी संसद सदस्य और पूर्व संसद सदस्य भारतीय संसदीय ग्रुप की सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं । कोई संसद सदस्य 500/- रुपए का आजीवन सदस्यता शुल्क देकर ग्रुप की आजीवन सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं । ग्रुप की सदस्यता पाने के इच्छुक संसद सदस्य आजीवन सदस्यता शुल्क सहित एक आवेदन पत्र लोक सभा और राज्य सभा के संसदीय सूचना कार्यालयों और लोक सभा सचिवालय की सम्मेलन शाखा में उपलब्ध विहित प्रपत्र में लोक सभा के महासचिव (जो ग्रुप के पदेन महासचिव हैं), संसद भवन, नई दिल्ली को भेज सकते हैं।
लक्ष्य और उद्देश्य
भारतीय संसदीय ग्रुप के लक्ष्य और उद्देश्य निम्नानुसार हैं:-
- संसद सदस्यों के बीच वैयक्तिक संपर्क को बढ़ावा देना;
- संसद के समक्ष आने वाले संभावित लोक महत्व के प्रश्नों का अध्ययन करना और संगोष्ठियां और चर्चा तथा प्रबोधन पाठय़क्रम आयोजित करना तथा भारतीय संसदीय ग्रुप के सदस्यों में सूचना के प्रचार-प्रसार हेतु प्रकाशनों को प्रकाशित करना;
- संसद सदस्यों और गण्यमान्य व्यक्तियों द्वारा राजनीतिक, रक्षा, आर्थिक, सामाजिक तथा शैक्षिक समस्याओं पर व्याख्यान का प्रबंध करना; और
- अन्य संसदों के सदस्यों के साथ संपर्क बढ़ाने के उद्देश्य से विदेश यात्राओं का प्रबंध करना।
संगठन
ग्रुप का प्रबंधन और इसके कार्यों का नियंत्रण कार्यकारी समिति में निहित होता है जो एक सभापति, दो उप-सभापति, कोषाध्यक्ष और 16 सदस्यों से मिलकर बना होता है । लोक सभा अध्यक्ष ग्रुप और कार्यकारी समिति का पदेन सभापति होता है । राज्य सभा के उप-सभापति और लोक सभा के उपाध्यक्ष ग्रुप के पदेन उप-सभापति होते हैं। वार्षिक आम बैठक में कोषाध्यक्ष और कार्यकारी समिति के सदस्य ग्रुप के आजीवन सदस्यों में से निर्वाचित किए जाते हैं।
कार्यकलाप
यह ग्रुप भारतीय संसद तथा विश्व के विभिन्न संसदों के बीच संपर्क के रूप में कार्य करता है। यह संपर्क विदेशी संसदों के
शिष्टमंडलों के आवागमन, सदाशयता मिशन, पत्राचार, दस्तावेज के माध्यम से कायम रखा जाता है । भारतीय संसदीय ग्रुप (क) अन्तर-संसदीय यूनियन के राष्ट्रीय ग्रुप1 और (ख) भारत में राष्ट्रमंडल संसदीय एसोसिएशनों* की मुख्य शाखा के रूप में कार्य करता है । इस ग्रुप के तत्वावधान में विदेशी सरकारों और राष्ट्राध्यक्षों द्वारा संसद सदस्यों को संबोधन तथा गणमान्य व्यक्तियों की वार्ता भी आयोजित की जाती है । समय-समय पर प्राकरणिक अभिरूचि के संसदीय विषयों पर सेमिनार और संगोष्ठियां भी राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किए जाते हैं । विदेश यात्रा के क्रम में ग्रुप के सदस्यों को आई.पी.यू. के राष्ट्रीय ग्रुप के सचिवों तथा सी.पी.ए. शाखाओं के सचिवों को परिचयात्मक पत्र दिए जाते हैं । यात्रा के गंतव्य देशों में स्थित भारतीय मिशनों को उपयुक्त तौर पर जानकारी दी जाती है ताकि उन्हें सहायता और अपेक्षित सौजन्य प्राप्त हो सके । भारतीय संसदीय ग्रुप की कार्यकारी समिति के निर्णय के अनुसार केवल उन्हीं संसद सदस्यों को विदेश जाने वाले भारतीय संसदीय शिष्टमंडल में शामिल किया जाए जो शिष्टमंडल बनाए जाने के समय कम से कम छह मास तक ग्रुप के स्थायी सदस्य हों।
भारतीय संसदीय ग्रुप का सूचना पत्र
प्रत्येक तिमाही में प्रकाशित किए जाने वाले भारतीय संसदीय ग्रुप के सूचना पत्र के माध्यम से ग्रुप के कार्यकलापों के बारे में सदस्यों को निर्बाधित सूचना दी जाती है । यह सूचना पत्र सहयोजित सदस्यों समेत ग्रुप के सभी सदस्यों को नियमित तौर पर प्रेषित की जाती है।
उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार
भारतीय संसदीय ग्रुप द्वारा वर्ष 1995 में उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार का गठन किया गया। पहला और दूसरा पुरस्कार वर्ष 1995 और 1996 में क्रमशः श्री चन्द्रशेखर और श्री सोमनाथ चटर्जी को दिया गया । वर्ष 1997 और 1998 में तीसरा और चौथा पुरस्कार क्रमशः श्री प्रणब मुखर्जी और श्री एस. जयपाल रेड्डी को दिया गया । वर्ष 1999, 2000, 2001 और 2002 के लिए पांचवां, छठा, सातवां और आठवां पुरस्कार क्रमशः श्री लाल कृष्ण आडवाणी, श्री अर्जुन सिंह, श्री जसवंत सिंह और डा. मनमोहन सिंह को दिया गया।
संसदीय मैत्री समूह
द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारतीय संसदीय ग्रुप ने संसद में अन्य देशों के साथ संसदीय मैत्री समूह का गठन करने का निर्णय लिया है । प्रत्येक मैत्री समूह में लोक सभा और राज्य सभा में दलों की सदस्य संख्या के अनुपात में कम से कम तीस संसद सदस्य (20 लोक सभा सदस्य और 10 राज्य सभा सदस्य) होंगे। इस ग्रुप का उद्देश्य दोनों देशों के बीच राजनैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संपर्क कायम रखने तथा संसदीय गतिविधियों से संबंधित मुद्दों के बारे में सूचना और अनुभवों के आदान-प्रदान में सहायता प्रदान करना है।
भारतीय संसदीय ग्रुप की सदस्यता के लाभ
भारतीय संसदीय ग्रुप की सदस्यता का मुख्य लाभ जहां तक वह भारत में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की मुख्य शाखा के रूप में कार्य करता है, इस प्रकार है-
- यात्रा सुविधाएं तथा रियायतें- राष्ट्रमंडल के कुछेक देशों में, दौरे पर आए हुए संघ के सदस्यों को कम दरों पर रेल किराये की सुविधा उपलब्ध है और कुछ मामलों में यह सुविधा उनके परिवार के सदस्यों को भी उपलब्ध है।
- परिचय तथा अतिथि-सत्कार- राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की प्रत्येक शाखा यह सुनिश्चित करने के लिए अपना सर्वोत्तम प्रयास करती है कि दौरे पर आने वाले सदस्यों विशेषकर अपनी शाखाओं से परिचय-पत्र के साथ आने वाले सदस्यों का गर्मजोशी से स्वागत किया जाए तथा उनके दौरे के दौरान उन्हें संसदीय विशेषाधिकार और अन्य सुविधाएं प्राप्त हो ।
- अधिमान्य व्यवहार- राष्ट्रमंडल संसदीय संघ ने यह व्यवस्था की है कि किसी राष्ट्रमण्डल देश का दौरा करते समय उनके सदस्यों को संसद सदस्यों की तरह अधिमान्य व्यवहार की सुविधा प्राप्त हो । दौरे पर आने वाले सदस्यों को आतिथेय देश की संसद की दीर्घा, लाबी, भोजन तथा धूम्रपान कक्षों में प्रवेश की अनुमति दी जाती है ताकि वह वाद-विवाद सुन सकें तथा संघ के साथी सदस्यों से मुलाकात कर सकें ।
- पत्रिकाओं का नि:शुल्क वितरण- लोक सभा सचिवालय की सम्मेलन शाखा में उपलब्ध निर्धारित प्रपत्र में अनुरोध करने पर भारतीय संसदीय ग्रुप के सदस्यों को राष्ट्रमंडल संसदीय संघ द्वारा प्रकाशित “दि पार्लियामेन्टेरियन” नामक पत्रिका नि:शुल्क दी जाती है।
अंतर संसदीय संघ
राष्ट्रीय संसदों के अंतर्गत गठित संसदीय ग्रुपों का एक संघ है जिसका उद्देश्य सभी संसदों के सदस्यों के बीच वैयक्तिक संपर्क को बढ़ावा देना और संसदीय संस्थाओं की स्थापना और विकास तथा अंतर्राष्ट्रीय शांति और सहयोग की दिशा में, विशेषकर संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्यों का अनुसरण करते हुए अपने-अपने देशों की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए साझी कार्रवाई के लिए उन्हें आपस में जोड़ना है । संघ की साल में दो सम्मेलन आयोजित होते हैं जिसकी मेजबानी सदस्य देशों द्वारा की जाती है। भारत ने अक्तूबर – नवम्बर, 1969 और अप्रैल, 1993 में नई दिल्ली में अंतर संसदीय संघ के सम्मेलनों की मेज़बानी की थी ।
राष्ट्रमंडल संसदीय संघ
राष्ट्रमंडल संसद सदस्यों का एक एसोसिएशन है जिसका उद्देश्य उनके बीच समझबूझ और सहयोग को प्रोत्साहित करना और संसदीय संस्थाओं के बारे में अध्ययन तथा उन संस्थाओं के प्रति आदर भाव को बढ़ावा देना है । प्रतिवर्ष इस एसोसिएशन के सम्मेलन का आयोजन किया जाता है और क्षेत्रीय स्तरों पर संसदीय प्रक्रिया और कार्य प्रणाली के बारे में सेमिनारों का आयोजन करने में भी सहायता प्रदान करती है। भारत ने राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के सम्मेलनों की मेज़बानी नई दिल्ली में 1957, 1975 और 1991 में की थी।