नीति आयोग ने ‘अभिनव भारत @75 के लिये कार्यनीति’ (Strategy for New India @ 75) जारी की है जिसमें 2022-23 हेतु उद्देश्यों को परिभाषित किया गया है। यह 41 महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों का विस्तृत विवरण है जिसमें पहले से हो चुकी प्रगति को मान्यता दी गई है, प्रगति के मार्ग में बाध्यकारी रुकावटों की पहचान की गई है और स्पष्ट रूप से वर्णित उद्देश्यों को प्राप्त करने के विषय में सुझाव दिये गए है।
न्यू इंडिया के लिए रणनीति @75
अर्थव्यस्था: कहा गया है, इससे वास्तविक आधार पर अर्थव्यवस्था का आकार 2017-18 के 2700 अरब डॉलर से बढ़कर 2022-23 तक 4,000 अरब डॉलर का हो जाएगा। 2022- 23 तक 9 से 10 प्रतिशत की तीव्र आर्थिक वृद्धि दर के साथ यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि यह वृद्धि समावेशी, सतत, स्वच्छ और संगठित रूप से हो। (देश की आर्थिक वृद्धि दर 2017-18 में 6.7 प्रतिशत थी जबकि 2018-19 में इसके 7.2-7.5 के मध्य रहने का अनुमान)। विकास के मोर्चे पर इसमें कहा गया है कि 2018-23 के दौरान औसतन 8 प्रतिशत की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर हासिल करने के लिए अर्थव्यवस्था को तेजी से बढ़ाएंगे। इससे 2022-23 तक देश की अर्थव्यवस्था करीब 4 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी।
निवेश: निवेश दर जीडीपी के 36 प्रतिशत तक बढाया जाएगा। कर-जीडीपी अनुपात को जीडीपी के 22 फीसद तक ले आया जाएगा। कारोबार को आसान बनाने तथा भूमि और श्रम नियमों को तार्किक बनाने के लिए राज्यों के साथ मिलकर काम किया जाएगा। दस्तावेज में सकल स्थिर पूंजी निर्माण (जीएफसीएफ) द्वारा आंके जाने वाली निवेश दर को भी मौजूदा 29 प्रतिशत से बढ़ाकर 2022 तक 36 प्रतिशत करने की बात कही गई है। इसमें कहा गया है कि देश अब आर्थिक संक्रमण के दौर को पूरा करने के करीब है और इसके साथ प्रति व्यक्तिआय 2022-23 में बढ़कर 3,000 डॉलर हो जाएगी, जो 2017-18 में 1,900 डॉलर थी।
रोजगार: अधिकतम रोजगार सृजन के लिए श्रम कानूनों को पूर्णतया व्यवस्थित किया जाएगा और महिला श्रमिकों की संख्या बढ़ाई जाएगी। स्किल यानी कौशल बढ़ाने पर जोर होगा। रोजगार पर डाटा संग्रह को बेहतर किया जाएगा।
निर्माण: मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की मौजूदा विकास दर को दोगुना करने निवेशकों की सहूलियत के लिए राज्यों में सिंगल विंडो व्यवस्था लागू की जाएगी और चौथी औद्यौगिक क्रांति के लिए पहल तेज होगी। मेक इन इंडिया को गति देना, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा नवप्रवर्तन माहौल का विस्तार, फिनटेक (वित्तीय प्रौद्योगिकी) तथा पर्यटन जैसे उभरते क्षेत्रों को बढ़ावा देना होगा।
कृषि : किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए तकनीक के आधुनिकीकरण, उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जाना है। साथ ही ड्रिप सिंचाई, हाइब्रिड सीड के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा। ग्राम स्तर पर खरीद केंद्र, शून्य बजट प्राकृतिक खेती और उत्पादन को प्रसंस्करण से जोड़ने पर जोर रहेगा। ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार (ईनाम) का विस्तार कर तथा कृषि उपज विपणन समिति कानून की जगह कृषि उपज पशुधन विपणन (एपीएलएम) लाकर कृषि क्षेत्र में किसानों को कृषक उद्यमी बनाने पर जोर दिया जाएगा। एकीकृत राष्ट्रीय बाजार का गठन, मुक्त निर्यात व्यवस्था तथा जरूरी जिंस कानून को समाप्त करना कृषि वृद्धि के लिए जरूरी होगा।
परिवहन: राजमार्गों की लंबाई दोगुनी करने का लक्ष्य, दुर्घटनाओं की संख्या आधी करने, प्रभावी, सुरक्षित और सबको उपलब्ध रेल सेवा पर जोर होगा। रेल किराया और सब्सिडी तार्किक करने, घरेलू हवाई टिकट बिक्री को 103 मिलियन से बढ़ाकर 300 मिलियन करने के साथ तटीय नौवहन और अंतर्देशीय जलमार्गों द्वारा माल ढुलाई पर जोर है।
नागरिक सुविधाएं: सबको पक्का घर उपलब्ध कराया जाएगा, जिसमें बिजली, पानी कनेक्शन और शौचालय हों।
ऊर्जा: सभी को 24 घंटे बिजली मुहैया हो सके, इसका बेहतर उपाय किया जाएगा। 175 गीगा वॉट नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन की क्षमता हासिल करने का लक्ष्य होगा।
डिजिटल इंडिया: डिजिटल इंडिया के तहत हर राज्य, हर जिले में डिजिटल कनेक्टिविटी के साथ ही सरकारी सुविधाएं डिजिटल तौर पर मुहैया कराने पर जोर होगा।
चार खंडों में किया गया है विभाजन
- इस दस्तावेज़ के 41 अध्यायों को चार खंडों : वाहक, अवसंरचना, समावेशन और गवर्नेंस में विभाजित किया गया है।
वाहक (Drivers)
- वाहकों पर आधारित पहला खंड आर्थिक निष्पादन के साधनों, विकास और रोज़गार, किसानों की आमदनी दोगुनी करने, विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष पारिस्थितिकी को उन्नत बनाने और फिनटेक तथा पर्यटन जैसे उभरते क्षेत्रों को बढ़ावा देने संबंधी अध्यायों पर ध्यान केंद्रित करता है।
अवसंरचना (Infrastructure)
- दूसरा खंड अवसंरचना से संबंधित है जो विकास के भौतिक आधारों का उल्लेख करता है। यह भारतीय कारोबारों की प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने और नागरिकों के जीवन की सुगमता सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
समावेशन (Inclusion)
- समावेशन से संबंधित खंड समस्त भारतीय नागरिकों की क्षमताओं में निवेश के अत्यावश्यक कार्य से संबंधित है। इस खंड के तीन विषय स्वास्थ्य, शिक्षा और परंपरागत रूप से हाशिये पर मौज़ूद आबादी के वर्गों को मुख्य धारा में लाने के आयामों के इर्द-गिर्द घूमते हैं।
गवर्नेंस (Governance)
गवर्नेंस से संबंधित अंतिम खंड में इस बात पर गहन चिंतन किया गया है कि विकास के बेहतर निष्कर्ष प्राप्त करने के लिये गवर्नेंस के ढाँचों को किस तरह सुव्यवस्थित और प्रक्रियाओं को अनुकूल बनाया जा सकता है।
सतत विकास लक्ष्य-2030 एजेंडा
- गरीबी के सभी रूपों की पूरे विश्व से समाप्ति
- भूख की समाप्ति, खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा
- सभी आयु के लोगों में स्वास्थ्य सुरक्षा और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा
- समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्ता युक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही सभी को सीखने का अवसर देना
- लैंगिक समानता प्राप्त करने के साथ ही महिलाओं को सशक्त करना
- सभी के लिए स्वच्छता और पानी के सतत प्रबंधन की उपलब्धता सुनिश्चित करना
- सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करना.
- सभी के लिए निरंतर समावेशी और सतत आर्थिक विकास, पूर्ण और उत्पादक रोजगार, बेहतर कार्य को बढ़ावा देना
- लचीले बुनियादी ढांचे, समावेशी और सतत औद्योगीकरण को बढ़ावा
- असमानता को कम करना
- सुरक्षित, लचीले और टिकाऊ शहर और मानव बस्तियों का निर्माण
- स्थायी खपत और उत्पादन पैटर्न को सुनिश्चित करना
- जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करना
- महासागरों, समुद्र और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और उपयोग
- सतत उपयोग को बढ़ावा देने वाले स्थलीय पारिस्थितिकीय प्रणालियों, सुरक्षित जंगलों, भूमि क्षरण और जैव विविधता के बढ़ते नुकसान को रोकना
- सतत विकास के लिए शांतिपूर्ण और समावेशी समितियों को बढ़ावा देने के साथ ही सभी स्तरों पर इन्हें प्रभावी, जवाबदेही बनना ताकि सभी के लिए न्याय सुनिश्चित हो सके
- वैश्विक भागीदारी को पुनर्जीवित करने के साधनों को मजबूत बनाना
स्रोत : नीति आयोग, द हिंदू, DRISHTI IAS , JAGRAN JOSH
दोस्तो अगर जो आपको हमारी यह पोस्ट पसन्द आयी हो तो कृपया करके ज़्यादा से ज़्यादा लोगो तक इसे अवश्य शेयर करें