धातुकर्म (Metallurgy): अयस्कों से धातुओं के उत्पादन में कई भौतिक या रासायनिक प्रक्रियाएँ काम में आती हैं। धातु के उत्पादन में निहित विभिन्न प्रक्रियाओं के सामूहिक रूप को धातुकर्म कहते हैं।
खनिज (Mineral): प्रकृति में पाया जाने वाला वह पदार्थ जिसमें मुख्यतः एक रासायनिक अवयव (तत्व या यौगिक) उपस्थित रहता है, खनिज कहलाता है।
अयस्क (Ore): जिस खनिज में धातु का पर्याप्त प्रतिशत हो तथा जिससे शुद्ध धातु सरलता से एवं सस्ते में प्राप्त की जा सके, उसे अयस्क कहते हैं। उदाहरण के लिए, आइरन पाइराइट लोहे का खनिज है, परन्तु इससे लोहा प्राप्त करना आर्थिक दृष्टि से लाभदायक नहीं है, अतः यह लोहे का अयस्क नहीं है।
तत्व, अयस्क और उनके सूत्र
तत्व | संकेत | अयस्क | अयस्क का संघटन |
सोडियम | Na | सोडियम क्लोराइड | NaCl |
सोडियम कार्बोनेट | Na2CO3.10H2O | ||
सोडियम नाइट्रेट | NaNO3 | ||
सोडियम सल्फेट | NaSO4.10H2O | ||
बोरेक्स | Na2B4O7.10H2O | ||
पोटैशियम | K | पोटैशियम क्लोराइड | KCl |
पोटेशियम कार्बोनेट | K2CO3 | ||
पोटैशियम नाइट्रेट | KNO3 | ||
मैग्नीशियम | Mg | मैग्नेसाइट | MgCO3 |
डोलोमाइट | MgCO3.CaCO3 | ||
कार्नेलाइट | KCI.MgCl2.6H2O | ||
एप्सम साल्ट | MgSO4.7H2O | ||
कैल्सियम | Ca | कैल्सियम कार्बोनेट | СаСО3 |
जिप्सम | CaSO4.2H2O | ||
फ्लुओरस्पार | CaF2 | ||
फॉस्फोराइट | Ca3(PO4)2 | ||
एलुमिनियम | Al | बॉक्साइट | Al2O3.2H2O |
क्रायोलाइट | Na3AlF6 | ||
कोरण्डम, नीलम | Al2O3 | ||
डायास्पोर | Al2O3.H2O | ||
कॉपर | Cu | क्यूप्राइट | Cu2O |
एजुराइट | 2CuCO3.Cu(OH)2 | ||
मैलेकाइट | CuCO3.Cu(OH)2 | ||
कैल्कोसाइट | Cu2S | ||
कैल्कोपायराइट | CuFeS2 | ||
टिन | Sn | कैसिटेराइट | SnO2 |
सीसा | Pb | गैलेना | PbS |
सीरूसाइट | PbCO3 | ||
सिल्वर | Ag | नेटिव सिल्वर | Ag |
अर्जेण्टाइट | Ag2S | ||
जिंक | Zn | जिंक ब्लैंड | ZnS |
कैलामीन | ZnCO3 | ||
जिंकाइट | ZnO | ||
मरकरी | Hg | सिनेबार | HgS |
मैंगनीज | Mn | पाइरोलुसाइट | MnO2 |
मैंगनाइट | Mn2O3.H2O | ||
लोहा | Fe | हेमाटाइट | Fe2O3 |
मैग्नेटाइट | Fe2O3 | ||
सीडेराइट | FeCO3 | ||
आयरन पायराइट्स | FeS2 | ||
कैल्कोपायराइट्स | CuFeS2 | ||
बेरियम | Ba | हेवी स्पार या बेराइट्स | BaSO4 |
विदराइट | BaCO3 | ||
कैडमियम | Ca | ग्रीनोकाइट | CdS |
क्रोमियम | Cr | क्रोमाइट | FeOCr2O3 |
आर्सेनिक | As | आर्सेनिक पायराइट | FeAsS |
कोबाल्ट | Co | कोबाल्टाइट | CoAsS |
निकिल | Ni | निकिल ग्लान्स | NiAsS |
एण्टीमनी | Sb | स्टिबनाइट | Sb2S3 |
स्ट्रॉन्शियम | Sr | स्ट्रान्शिएनाइट | SrCO3 |
सोना | Au | कैल्वेराइट | AuTe2 |
सिल्वेनाइट्स | (AgAu)2Te2 |
नोट: सभी अयस्क खनिज होते हैं, लेकिन सभी खनिज अयस्क नही होते हैं।
आधात्री (Matrix or Gangue): उपयोगी धातुओं या उनके यौगिकों के साथ शैलीय पदार्थ की एक काफी बड़ी मात्रा पायी जाती है। इसी को आधात्री कहते हैं।
प्रद्रावण (smelting): अयस्क को उसके द्रवणांक से ऊपर तापक्रम पर अकेला या किसी सुद्रावक के साथ मिलाकर गर्म करने की प्रक्रिया को प्रद्रावण या प्रगलन कहते हैं। इस प्रक्रिया में रासायनिक परिवर्तन होता है।
सुद्रावक (Fluxes): प्रद्रावण के समय अयस्क में प्रायः कुछ ऐसे पदार्थ मिला दिये जाते हैं, जिससे अयस्क में उपस्थित अद्रवणशील पदार्थ रासायनिक प्रतिक्रिया द्वारा भट्टी के ऊँचे ताप पर द्रवणशील (Fusible) बन जाते हैं। ऐसे पदार्थों को ही सुद्रावक कहा जाता है। जैसे- लोहे के प्रद्रावण में चूना पत्थर सुद्रावक के रूप में व्यवहृत होता है। यह गर्म होकर CaO देता है, जो अयस्क की सिलिका जैसी अशुद्धियों से संयोग कर द्रवणशील कैल्सियम सिलिकेट (CaSiO3) का निर्माण करता है।
धातुमल (Slag): अयस्क में उपस्थित अशुद्धियों के साथ सुद्रावक संयोग कर जो द्रवणशील पदार्थ बनाता है, उसे धातुमल कहते हैं।
आधात्री + सुद्रावक → धातुमल
यदि अयस्क में उपस्थित अशुद्धियाँ अम्लीय हों जैसे SiO2, P2O5 आदि तो भास्मिक द्रावक (Basic Flux) के रूप में चूना (Lime) का व्यवहार किया जाता है, जिससे द्रवणशील कैल्सियम सिलिकेट या फॉस्फेट धातुमल बनकर अलग हो जाता है।
SiO2 + CaO → CaSiO3
P2O5 + 3СаO → Са3(РO4)2
MnO जैसी भास्मिक अशुद्धियों के लिए द्रावक के रूप में सिलिका का व्यवहार होता है।
निस्तापन (Calcination): निस्तापन वह प्रक्रिया है, जिसमें अयस्क को खूब गर्म किया जाता है, ताकि वाष्पशील अशुद्धियां बाहर निकल जाए और विघटन योग्य (Decomposable) ऑक्सीलवण ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाए। इस प्रक्रिया में हवा की उपस्थिति या अनुपस्थिति आवश्यक नहीं है।
जारण (Roasting): जारण वह प्रक्रिया है, जिसमें अयस्क को वायु की नियंत्रित आपूर्ति करके एक निश्चित ताप पर इस प्रकार गर्म करते हैं कि मुक्त अवस्था या संयुक्त अवस्था में उपस्थित गंधक, आर्सेनिक और अन्य तत्व ऑक्सीकृत हो जाएँ और वाष्पशील ऑक्साइड में परिवर्तित होकर बाहर निकल जाए तथा धातु का ऑक्साइड शेष रह जाए।
अयस्क का सांद्रण (Concentration of Ore): अयस्क से मेट्रिक्स या गेंग को पृथक करने की प्रक्रिया को अयस्क का सांद्रण कहा जाता है।
अयस्क को सान्द्र करने की विधियाँ:
(1) हाथ से चुनकर (By Hand Picking),
(ii) गुरुत्व पृथक्करण विधि (Gravity Separation Process),
(iii) फेन उत्प्लावन विधि (Froth Floatation Process),
(iv) चुम्बकीय सांद्रण विधि (Magnetic Concentration Process),
(v) निक्षालन विधि (Leaching Process)
नोट:
- अधिक घनत्व वाले अयस्कों का सान्द्रण गुरुत्व पृथक्करण विधि द्वारा किया जाता है।
- सल्फाइड अयस्कों का सान्द्रण फेन उत्प्लावन विधि द्वारा किया जाता है। जैसे- कॉपर पाइराइट (CuFeS2), गैलेना (PbS), सिल्वर ग्लांस (Ag2S), जिंक ब्लैंड (zns) आदि।
- अयस्क में उपस्थित चुम्बकीय अशुद्धियों को दूर करने लिए चुम्बकीय सान्द्रण विधि व्यवहार में लायी जाती है। जैसे- टिन स्टोन (SnO2)
परिष्करण (Refining): अशुद्ध धातुओं के शोधन प्रक्रम को धातुओं का परिष्करण कहते हैं। अशुद्ध धातु के परिष्करण की विधि तत्व की प्रकृति एवं उपस्थित अशुद्धि की प्रकृति पर निर्भर करती है।