हेलो दोस्तो मेरा नाम है आदित्य कुमार मिश्र । दोस्तो आज में आप को एक ऐसी कहानी बताने वाला हु जो आपकी आंखों में आशु और दिल में एक जज्बा भर देगी ।
दोस्तो वो कहते है ना कि अगर आप ने मन मैं जो सोच लिया कि ये काम मुश्किल नही है तो फिर दोस्तो कुछ भी मुश्किल नही है।
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में आप का दोस्त UPSC4U
आइये जानते है आगे की कहनी……………………
हम बात कर रहे हैं आई ए आस रमेश घोलप की जो आज उन युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं जो सिविल सर्विसिज में भर्ती होना चाहते हैं।रमेश को बचपन में बाएं पैर में पोलियो हो गया था और परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि रमेश को अपनी माँ के साथ सड़कों पर चूड़ियाँ बेचना पड़ा था।लेकिन रमेश ने हर मुश्किल को मात दी और आई ए एस(IAS) अफसर बनकर दिखाया।
रमेश के पिता की एक छोटी सी साईकिल की दुकान थी।यूँ तो इनके परिवार में चार लोग थे लेकिन पिता की शराब पीने की आदत ने इन्हें सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया।इधर ज्यादा शराब पीने की वजह से इनके पिता अस्पताल में भर्ती हो गए तो परिवार की सारी जिम्मेदारी माँ पर आ पड़ी।माँ बेचारी सड़कों पर चूड़ियाँ बेचने लगी, रमेश के बाएं पैर में पोलियो हो गया था लेकिन हालात ऐसे थे कि रमेश को भी माँ और भाई के साथ चूड़ियाँ बेचनी पड़ती थीं।
गाँव में पढाई पूरी करने के बाद बड़े स्कूल में दाखिला लेने के लिए रमेश को अपने चाचा के गांव बरसी जाना पड़ा।वर्ष 2005 में रमेश 12 वीं कक्षा में थे तब उनके पिता का निधन हो गया।चाचा के गाँव से अपने घर जाने में बस से 7 रुपये लगते थे लेकिन विकलांग होने की वजह से रमेश का केवल 2 रुपये किराया लगता था लेकिन वक्त की मार तो देखो रमेश के पास उस समय 2 रुपये भी नहीं थे।
आखिर 2012 में रमेश की मेहनत रंग लायी और रमेश ने यूपीएससी की परीक्षा 287 वीं रैंक हासिल की।और इस तरह बिना किसी कोचिंग का सहारा लिए, निरक्षर माँ बाप का बेटा बन गया आई ए एस(IAS) अफसर। आज उन्होंने यह साबित कर दिया कि इस दुनिया में कुछ भी मुश्किल नही है।
दोस्तो में आशा करता हु की आपको मेरी यह पोस्ट अछि लगी होगी ।
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