खुद से मजदूरी कर आईएएस बने सुमित विश्वकर्मा

 हेलो दोस्तो मेरा नाम ह आदित्य कुमार मिश्र और आज में आपको एक ऐसी पोस्ट शेयर करने जा रहा हु जो आपको परीश्रम करने पर मजबूर कर देगी । दोस्तो अगर आपको पोस्ट अछि लगे तो शेयर लाइक और कमेंट ज़रूर करियेगा
 मजदूरी कर आईएएस बने घंसौर के सुमित विश्वकर्मामध्यप्रदेश में यदि कोई ऐसा है जिसे पूरा प्रदेश सेल्यूट करे तो वो है सिवनी जिले के सुमित विश्वकर्मा। सुमित की कहानी टीवी चैनलों पर नहीं आई, क्योंकि सुमित को कोई पहचानता ही नहीं था और जो जानते थे, वो टीवी चैनल के पत्रकारों को नहीं जानते थे। मध्यप्रदेश के सिवनी जिले के घंसौर निवासी सुमित विश्वकर्मा ने यूपीएससी में 53 वी रैंक हासिल की है। वो किसी मजदूर का बेटा नहीं है, उसे पढ़ाने के लिए पिता ने लोन नहीं लिया बल्कि वो खुद मजदूर है और मजदूरी करते करते संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विस परीक्षा में भाग लिया।

मध्यप्रदेश में भवन निर्माण करने वाले मजदूरों को ‘मिस्त्री’कहते हैं। सुमित विश्वकर्मा भी ‘मिस्त्री’है। फाइनल इंटरव्यू में सुमित से पूछा गया ..OK का फुल फार्म क्या है? सुमित ने कहा Objections Killed ..यही अनूठी सोच और लगन से सुमित ने आज नामुमकिन को मुमकिन करके दिखाया और सुमित आईएएस बन गये। सुमित विश्वकर्मा घँसोर, जिला – सिवनी, मध्यप्रदेश के रहने वाले है। उन्होने यूपीएससी में 53 वी रैंक हासिल की है।

जिस कॉलेज में पढ़े उसी में मजदूरी भी की। सुमित की जिंदगी के संघर्षों का तो पूरा ग्रंथ लिखा जा सकता है परंतु एक प्रसंग उसे जिंदगी भर याद रहेगा। जिस इंजीनिरिंग कालेज में वो पढ़ते थे उसकी ही इमारत के निर्माण में वो मिस्त्री का काम भी करते थे। सुमित अपना घर चलाने के लिए अपने पिता के साथ भी मिस्त्री का काम करते है। बीई और एमटेक कर चुके सुमित अब देश के युवाओं के लिये मिसाल बन चुके हैं।सुमित जी को कोटि-कोटि बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं।


आज यह ख़बर मैंने फेसबुक पर पढ़ी जो कि अपार प्रेरणा से ओतप्रोत है। सुमित जी ने यह साबित कर दिया है कठोर परिश्रम, लग्न, एकाग्रता से कुछ भी संभव है इस दुनिया में।जीवन में यह मायने नहीं रखता कि आप कहाँ से आये है, आप कहाँ तक जाना चाहते है यह मायने रखता है।इसलिए अच्छा सोचिये, अच्छा करिए और नकारात्मक विचारों से दूर रहिये आप भी जरूर सफ़ल होंगे एक न एक दिन।

IAS MOTIVATIONAL STORY

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