उष्णकटिबंधीय देशों में खाद्य सुरक्षा पर जलवायु परिवर्तन के परिणाम विशेष रूप से गंभीर हैं। इन देशों में, कृषि और मत्स्यपालन पर आजीविका और खाद्य सुरक्षा के लिए बहुत अधिक निर्भरता है। जलवायु परिवर्तन से इन दो क्षेत्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, जिससे खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो रहा है।
कृषि पर प्रभाव
जलवायु परिवर्तन से कृषि पर कई तरह से प्रभाव पड़ रहा है। इनमें शामिल हैं:
- तापमान में वृद्धि: तापमान में वृद्धि से फसलों की वृद्धि और पैदावार को नुकसान हो सकता है।
- वर्षा के पैटर्न में बदलाव: वर्षा के पैटर्न में बदलाव से सूखे, बाढ़, और अत्यधिक वर्षा की घटनाओं में वृद्धि हो सकती है। ये सभी घटनाएं फसलों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
- जलवायु से संबंधित कीट और रोग: जलवायु परिवर्तन से नए कीट और रोगों का प्रसार हो सकता है जो फसलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
इन कारकों के कारण, उष्णकटिबंधीय देशों में फसल की पैदावार में कमी आने की संभावना है। इससे भोजन की कमी और खाद्य कीमतों में वृद्धि हो सकती है।
मत्स्यपालन पर प्रभाव
जलवायु परिवर्तन से मत्स्यपालन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इनमें शामिल हैं:
- समुद्र का तापमान बढ़ना: समुद्र का तापमान बढ़ने से मछलियों के प्रवास और प्रजनन चक्र पर असर पड़ सकता है।
- समुद्र का स्तर बढ़ना: समुद्र का स्तर बढ़ने से तटीय क्षेत्रों के जलमग्न होने का खतरा बढ़ सकता है, जिससे मछली पालन के लिए आवश्यक भूमि और संसाधन नष्ट हो सकते हैं।
- चरम मौसमी घटनाएं: चरम मौसमी घटनाएं, जैसे कि तूफान और बाढ़, मछली पालन उद्योग को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
इन कारकों के कारण, उष्णकटिबंधीय देशों में मछली उत्पादन में कमी आने की संभावना है। इससे भोजन की कमी और खाद्य कीमतों में वृद्धि हो सकती है।
खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव
जलवायु परिवर्तन से कृषि और मत्स्यपालन पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों से उष्णकटिबंधीय देशों में खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो रहा है। इन देशों में, कृषि और मत्स्यपालन पर आजीविका और खाद्य सुरक्षा के लिए बहुत अधिक निर्भरता है। जलवायु परिवर्तन से इन क्षेत्रों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों से इन देशों में खाद्य असुरक्षा बढ़ने की संभावना है।
जलवायु परिवर्तन से खाद्य सुरक्षा के जोखिमों को कम करने के लिए, उष्णकटिबंधीय देशों को निम्नलिखित उपाय करने चाहिए:
- जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्रवाई करें: ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए कार्रवाई करने से उष्णकटिबंधीय देशों में खाद्य सुरक्षा के जोखिमों को कम करने में मदद मिलेगी।
- खाद्य उत्पादन प्रणालियों को अनुकूलित करें: जलवायु परिवर्तन के अनुकूल खाद्य उत्पादन प्रणालियों को विकसित करने से उष्णकटिबंधीय देशों में खाद्य सुरक्षा के जोखिमों को कम करने में मदद मिलेगी।
- खाद्य सुरक्षा जागरूकता बढ़ाएं: खाद्य सुरक्षा जागरूकता बढ़ाने से लोगों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और उन्हें कम करने के तरीकों के बारे में शिक्षित करने में मदद मिलेगी।
जलवायु परिवर्तन से उष्णकटिबंधीय देशों में खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा बढ़ रहा है। इन देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्रवाई करने, खाद्य उत्पादन प्रणालियों को अनुकूलित करने, और खाद्य सुरक्षा जागरूकता बढ़ाने के लिए कदम उठाने चाहिए।
उष्णकटिबंधीय देशों में खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने हेतु आवश्यक अनुकूलन और शमन उपाय:
भूमि प्रबंधन में सुधार, ताकि उत्सर्जन को कम कर कार्बन पृथक्करण को बढ़ावा दिया जा सके।
पर्यावरण अनुकूल फसलों को विकसित करना।
खाद्य उत्पादन प्रणालियों के साथ आहार में विविधता लाना।
स्वस्थ एवं सतत् खान-पान की आदतों को बढ़ावा देना।
समस्त आपूर्ति शृंखला में भोजन की बर्बादी को कम करना।