अनुच्छेद 244(A): स्वायत्तता का संवैधानिक वचन
परिचय:
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 244(A), छठी अनुसूची में निर्दिष्ट आदिवासी क्षेत्रों को स्वायत्त शक्तियां प्रदान करता है। यह 1969 में बाईसवें संशोधन अधिनियम द्वारा संविधान में जोड़ा गया था।
मुख्य विशेषताएं:
- स्वायत्त राज्य: यह अनुच्छेद संसद को असम राज्य के भीतर छठी अनुसूची में निर्दिष्ट सभी या कुछ आदिवासी क्षेत्रों को शामिल करते हुए एक स्वायत्त राज्य स्थापित करने के लिए कानून बनाने की शक्ति देता है।
- विधायिका: स्वायत्त राज्य में अपनी विधायिका होगी, जिसमें विधान सभा और विधान परिषद शामिल हो सकती है।
- कार्यपालिका: राज्य का राज्यपाल होगा, जिसे राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाएगा। राज्यपाल की सहायता के लिए एक मंत्रिमंडल होगा, जिसका नेतृत्व मुख्यमंत्री करेंगे।
- न्यायपालिका: राज्य में अपनी उच्च न्यायालय होगी।
- अनुसूचित क्षेत्र: अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायती राज व्यवस्था लागू नहीं होगी।
- विधान सभा: विधान सभा के सदस्यों का चुनाव एकल सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्रों से होगा।
- विधान परिषद: विधान परिषद के सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होगा।
- राज्यपाल: राज्यपाल का कार्यकाल 6 वर्ष का होगा।
- मुख्यमंत्री: मुख्यमंत्री विधान सभा में बहुमत दल का नेता होगा।
- उच्च न्यायालय: उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी।
महत्व:
- आदिवासी स्वायत्तता: अनुच्छेद 244(A) आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को स्वायत्तता प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण कदम है।
- सांस्कृतिक संरक्षण: यह आदिवासी समुदायों को अपनी संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने में मदद करता है।
- विकास: यह आदिवासी क्षेत्रों के विकास को बढ़ावा देता है।
आलोचनाएं:
- कमजोर कार्यान्वयन: अनुच्छेद 244(A) का कार्यान्वयन कमजोर रहा है।
- केंद्र-राज्य संबंध: केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संबंधों को लेकर अक्सर विवाद होता रहता है।
- अवसंरचना का अभाव: आदिवासी क्षेत्रों में अवसंरचना का अभाव है, जिससे स्वायत्त शक्तियों का प्रभावी ढंग से उपयोग करना मुश्किल हो जाता है।
निष्कर्ष:
अनुच्छेद 244(A) आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को स्वायत्तता प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। लेकिन, इसके कार्यान्वयन में कई चुनौतियां हैं। केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर काम करना होगा और अवसंरचना में सुधार करना होगा ताकि आदिवासी समुदायों को इसका पूरा लाभ मिल सके