मुख्यालयः जिबूती।
सदस्यताः जिबूती, इरीट्रिया, इथोपिया, केन्या, सोमालिया, सूडान और युगांडा। (इरीट्रिया ने एकपक्षीय तौर पर 2007 में इसके निलम्बन की घोषणा कर दी)
उद्भव एवं विकास अपने क्षेत्रों में बार-बार पड़ने वाले सूखों तथा दूर तक फैले अकाल और मौतों को देखते हुए जिबूती, इथोपिया, केन्या, सोमालिया, सूडान और युगांडा के नेताओं ने जनवरी 1986 में जिबूती में एक अन्तर-सरकारी सूखा एवं विकास प्राधिकरण का गठन किया। इरीट्रिया 1993 में इसका सदस्य बना। संगठन के वर्तमान नाम, अन्तर-सरकारी विकास प्राधिकरण (आईजीएडी), को 1996 में अपनाया गया।
उद्देश्य
आईजीएडी के उद्देश्य हैं- सूखे एवं बंजरता से लड़ने के प्रयासों में समन्वय स्थापित करना और अल्पकालीन तथा मध्यकालीन आर्थिक विकास के लिये क्षेत्रीय नीतियों को विकसित करना। 1996 से यह संगठन क्षेत्र के विवादों को सुलझाने में भी सहायता प्रदान कर रहा है।
संरचना
आईजीएडी की संगठनात्मक संरचना में शासनाध्यक्ष सभा, मंत्रिपरिषद और सचिवालय सम्मिलित होते हैं।
शासनाध्यक्ष सभा आईजीएडी का सर्वोच्च नीति-निर्धारक अंग है। मंत्रिपरिषद में 14 सदस्य होते हैं तथा यह नीतियों के क्रियान्वयन के लिये उत्तरदायी होती है। सचिवालय का प्रधान अधिकारी कार्यपालक सचिव होता है।
गतिविधियां
संगठन के समक्ष पहला लक्ष्य था-सूखे की समस्या से जूझना। इसने कृषि अनुसंधान, मानव संसाधन विकास तथा जरुरतमंदों के लिए आभाव के समय खाद्य पदार्थों के भण्डारण और वितरण के लिए एक क्षेत्रीय योजना के गठन जैसी परियोजनाओं का प्रस्ताव रखा। सदस्य देशों के गृह युद्धों ने आईजीएडी परियोजनाओं के क्रियान्वयन को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया। फिर भी, सूडान में शांति वार्ताओं के प्रारम्भ होने के साथ इस संगठन को पुनः पश्चिमी समर्थन मिलना शुरू हो गया है।