भारत को उपमहाद्वीप क्योंं कहते हैं ये जानने से पहले आप ये भी जान लेंं कि द्वीप किसे कहते हैं, महाद्वीप किसे कहते हैं तथा प्रायद्वीप किसे कहतें हैं, चलिये आपको बताते हैं –
१. द्वीपः- स्थलखण्ड के ऐसे भाग को कहते हैं, जिनके चारों ओर जल का विस्तार पाया जाता हैं। आकार में द्वीप छोटे भी हो सकते हैं तथा बड़े भी। इनका आकार कुछ वर्ग मीटर से लेकर ह्ज़ारों वर्ग किलोमीटर तक पाया जाता हैं।
२. महाद्वीपः- समुद्र द्वारा आपस में कटे हुए बडे बडे भूभागों को महाद्वीप कहा जाता है । या सामान्य शब्दों मे कहें तो एक बडा द्वीप
३. प्रायद्वीपः- ऐसे स्थलखण्ड जिनके तीन ओर जल और एक ओर स्थल हो । अर्थात तीन दिशाओं में जलीयसीमा हो और एक दिशा में स्थलीय सीमा हो ।
४. उपमहाद्वीपः- जब कोई स्थान किसी महाद्वीप का होता है, लेकिन तुलनात्मक रूप से भौगोलिक रूप से अलग और छोटा होता है, तो उसे उपमहाद्वीप कहा जाता है।
भारत को उपमहाद्वीप क्यों कहा जाता है ?
भारत के मामले में, इसे अपने भूभाग के कारण उपमहाद्वीप कहा जाता है क्योंकि यह एक बड़ा क्षेत्र नहीं है और इसका कारण अन्य देशों के बीच अलगाव है।
क्या चीन का ये डैम पृथ्वी के घूमने की गति को धीमा कर रहा है
जी हाँ नासा के वैज्ञानिकों द्वारा ये दावा किया जा रहा है कि इस डैम की वजह से पृथ्वी के घूमने की गति पर प्रभाव पड़ सकता है | चलिये आपको बताते हैं इस डैम के बारे में गॉर्ज डैम (बांध),चीन के हुबेई प्रांत में यांग्त्ज़ी नदी पर स्थित है। यह कुल क्षमता से दुनिया का सबसे बड़ा जलविद्युत स्टेशन है, जो पूरा होने पर 22500 मेगावॉट होगा।
- समुद्र तल से 175 मीटर (574 फीट) (नदी के ऊपर 91 मीटर (292 फीट) से अधिक है, तो बांध द्वारा बनाए गए जलाशय लगभग 660 किलोमीटर (410 मील) लंबाई और 1.12 किलोमीटर (0.70 मील) ) औसत पर चौड़ाई में।
- जलाशय का कुल सतह क्षेत्र 1045 वर्ग किलोमीटर है। जलाशय में लगभग 39.3 किमी (9.43 घन मील) पानी होगा। वह पानी 39 ट्रिलियन किलोग्राम (42 बिलियन टन) से अधिक वजन करेगा।
- चीन में बना यह बाँध इतना बड़ा है की वह अरबो लीटर जल एक जगह संग्रह कर सकता है जिसका वजन खरबो टन हो सकता है ।
- पृथ्वी के इतने बड़े हिस्से को एक जगह संग्रह करने से उसकी प्राकृतिक द्रव्यमान वितरण में विकृति आ जाती है जिसके वजह से पृथ्वी के घूमने की रफ़्तार पर असर पड़ सकता है ।
चलिये इसे समझते हैं
- इस सिद्धांत का उपयोग करके हम यह समझ सकते है की कैसे द्रव्यमान का वितरण किसी पिंड के घूर्णन को प्रभावित करती है ।
- समुद्र तल से 175 मीटर ऊपर 39 ट्रिलियन किलोग्राम पानी बढ़ाना पृथ्वी के जुड़त्वाघुर्ण (मोमेंट ऑफ इनर्सिया) को बढ़ा देगा और इस प्रकार इसकी घूर्णन धीमा कर देगा। हालांकि, प्रभाव बहुत छोटा होगा।
- नासा के वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि द्रव्यमान की तरह शिफ्ट केवल 0.06 माइक्रोसैकेण्ड द्वारा दिन की लंबाई बढ़ाएगी और पृथ्वी को केवल मध्य में थोड़ा और अधिक गोल कर देगा। यह ध्रुव की स्थिति को लगभग दो सेंटीमीटर (0.8 इंच) तक बदल देगा।
सौर कलंक किसे कहते हैं
इससे पहले चलिये जानें थोड़ा सा सूर्य के बारे में, सूर्य की बाहरी संरचना में तीन स्तर पाये जाते हैं |
1. प्रकाश मण्डल
2.वर्णमण्डल
3. किरीट
अब समझते हैं सौर कलंक को –
प्रकाश मण्डल के ऊपर का जिस हिस्से का औसत तापमान 1500॰C से कम कम पाया जाता है वो सौर कलंक यानि Sunspots कहलाता है, इस धब्बे का जीवनकाल कुछ घंटे से लेकर कुछ सप्ताह तक होता है। कई दिनों तक सौर कलंक बने रहने के पश्चात रेडियो संचार में बाधा आती है। सौर कलंक के अंदर के अधिक काले भाग को अम्ब्रा (Umbra) तथा बाहरी भाग को जो कि अपेक्षाकृत कम काला होता है उसे पेन अम्ब्रा (Pen Umbra) कहा जाता है |
भूगोल भाग 1 (भूगोल से सम्बंधित प्रसिद्ध व्यक्तित्व)
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं (SSC CGL, UPSC, UPPSC ) में पूछे गये भूगोल के तथ्यों का संग्रह(Geography Facts in Hindi)
- यूनानी विद्वान हिकेटियस को भूगोल का पिता कहा जाता है |
- कृष्ण छिद्र (Black Hole) सिद्धांत का प्रतिपादन एस चंद्रशेखर ने किया था |
- अरस्तु ने सर्वप्रथम पृथ्वी को गोलाकार माना था |
- फ्रेडरिक रेडजेल को मानव भूगोल का पिता कहा जाता है |
- एडकुण्डे पुस्तक कार्ल रिटर द्वारा रचित है |
- सर्वप्रथम एनेक्सी मेंडर ने विश्व का मानचित्र मापक पर बनाया था |
- प्रसिद्ध भौगोलिक ग्रंथ किताबुल हिंद के लेखक अलबरूनी हैं |
- “मानव भूगोल अस्थायी पृथ्वी एवं चंचल मानव के पारस्परिक परिवर्तनशील सम्बंधों का अध्ध्ययन है” यह कथन कुसैम्पुल का है |
- जीवन एवं मृत्यु का भूगोल ब्रिटिश भूगोल वेत्ता सर डडले स्टाम्प की कृति है
- हिकेटियस द्वारा सर्वप्रथम लिखित भौगोलिक पुस्तक का नाम “जैसपीरियोडियस” है |
- इरेटोइस्थनीज ने सर्वप्रथम निवास योग्य विश्व का मानचित्र बनाया था |
- एलियड एवं ओडिसी ग्रंथ जिनमें कि प्राचीन भौगोलिक जानकारीयों का समावेश है, इसके लेखक होमर है |
- सभ्यता एवं जलवायु नामक पुस्तक के लेखक एलबर्ट हंटिंगटन हैं |
- आकृति विज्ञान के जन्मदाता पेशेल को माना जाता है |
- मानव भूगोल को मानव पारिस्थितिकी के रूप में एच एच बैरोज ने परिभाषित किया |
- गणितिय भूगोल के प्रारम्भकर्ता थेल्स को माना जाता हैं |
- क्षेत्रिय भूगोल के प्रणेता कार्ल रिटर को माना जाता हैं |
- मैट्रोलोजिया नामक पुस्तक की रचना अरस्तु ने की थी |
- “भूगोल पृथ्वी को केंद्र को मानकर अध्धययन करने वाला विद्वान है” यह कथन वारेनियस का है |
- भूगोल को एक अलग अध्धययन शास्त्र के रूप में स्थापित करने के श्रेय इरेटोस्थनीज को है |
- “भूगोल भूतल का अध्ध्ययन है” यह कथन काण्ट का है |
- पर्सपैक्टिव ऑन द नेचर ज्योग्राफी के लेखक हॉर्ट शोर्न हैं |
- “स्थलरूप संरचना पृकृम तथा अवस्था का प्रतिफल होता है” यह कथन वाल्टर पैंक का है |
- 276 से 194 ई0 पू0 सर्वप्रथम भूगोल शब्द एवं पृथ्वी की परिधि का सही मापन ग्रीक विद्वान इरेटोस्थनीज ने किया था |
- “यदि इतिहास कब का वैज्ञानिक अध्ध्ययन प्रस्तुत करता है तो भूगोल कहॉं का वैज्ञानिक एवं तार्किक अध्धययन करता है” यह कथन कार्ल साबर का है