गैसीय नियम FOR UPSC IN HINDI

बॉयल का नियम (Boyle’s Law)

“स्थिर ताप पर किसी गैस की निश्चित मात्रा का आयतन उसके दाब का व्युत्क्रमानुपाती होता है।” अर्थात् स्थिर ताप पर गैस का दाब बढ़ाने पर आयतन घटता है व दाब घटाने पर आयतन बढ़ता है ।

यदि स्थिर ताप पर किसी गैस के निश्चित द्रव्यमान का आयतन V व दाब P हो, तो

[latex]V\propto \frac { 1 }{ P }[/latex]

या [latex]V=\frac { 1 }{ P }[/latex]

जहाँ K एक नियतांक है।

अर्थात्, स्थिर ताप पर किसी गैस की निश्चित मात्रा के आयतन और दाब का गुणनफल हमेशा स्थिर रहता है।

पुन:

[latex]{ V }_{ 1 }=\frac { M }{ { D }_{ 1 } }[/latex] या [latex]{ V }_{ 2 }=\frac { M }{ { D }_{ 2 } }[/latex]

किन्तु बॉयल के नियम के अनुसार-

[latex]{ P }_{ 1 }{ V }_{ 1 }={ P }_{ 2 }{ V }_{ 2 }[/latex]

या, [latex]{ P }_{ 1 }\frac { M }{ { D }_{ 1 } } ={ P }_{ 2 }\frac { M }{ { D }_{ 2 } }[/latex]

या, [latex]\frac { { P }_{ 1 } }{ { D }_{ 1 } } =\frac { { P }_{ 2 } }{ { D }_{ 2 } }[/latex]

या, [latex]\frac { P }{ D }[/latex]=स्थिरांक

या, [latex]P\propto D[/latex]

अर्थात्, स्थिर ताप पर किसी गैस की निश्चित मात्रा का दाब उसके घनत्व का समानुपाती होता है।

चार्ल्स का नियम (Charle’s Law):

‘‘स्थिर दाब पर किसी गैस की निश्चित मात्रा का आयतन उसके परम ताप का अनुक्रमानुपाती होता है।”

यदि स्थिर दाब पर किसी गैस के निश्चित द्रव्यमान का आयतन v व परम ताप T हो, तो-

[latex]V\propto T[/latex]

[latex]\frac { V }{ T }[/latex]=स्थिरांक

या, [latex] \frac { { V }_{ 1 } }{ T_{ 1 } } =\frac { { V }_{ 2 } }{ { T }_{ 2 } }[/latex]

जहाँ, V1 और V2 क्रमशः प्रारम्भिक एवं अंतिम अवस्था में गैस के आयतन हैं तथा T1 और T2 उन अवस्थाओं में गैस के ताप हैं।

दाब का नियम (Pressure’s Law):

‘‘स्थिर आयतन पर किसी गैस के निश्चित द्रव्यमान का दाब उसके परमताप का अनुक्रमानुपाती होता है।” अर्थात् स्थिर आयतन पर यदि किसी गैस का ताप बढ़ाया जाए, तो दाब बढ़ता है और यदि ताप घटाया जाए, तो दाब घटता है।

यदि स्थिर आयतन (V) पर किसी गैस की निश्चित द्रव्यमान का दाब P और ताप T हो, तो-

या, [latex]\frac { P }{ T }[/latex]=स्थिरांक

या, [latex]\frac { P_{ 1 } }{ T_{ 1 } } =\frac { { P }_{ 2 } }{ { T }_{ 2 } }[/latex]

या, [latex]{ P }_{ 1 }{ T }_{ 2 }={ P }_{ 2 }{ T }_{ 1 }[/latex]

गैस अवस्था का समीकरण (The Equation of State for Gases):

किसी पदार्थ के एक स्थिर परिमाण के दाब, ताप और आयतन में संबंध बतलाने वाले समीकरण को उस पदार्थ का अवस्था समीकरण (Equation of State) कहते हैं। किसी गैस के 1 मील के लिए, बॉयल के नियम के अनुसार,

[latex]P\propto \frac { 1 }{ V }[/latex], जबकि T स्थिरांक है।

चार्ल्स के नियमों के अनुसार-

P ∝ T, जबकि V स्थिरांक है।

बॉयल तथा चार्ल्स के नियमों को संयुक्त करने पर-

[latex]P\propto \frac { T }{ V }[/latex], जबकि T और v दोनों बदलते हैं। या,

या, [latex]P=\frac { RT }{ V }[/latex] जहाँ R एक स्थिरांक है, जिसे गैस स्थिरांक कहते हैं। यह एक सर्वव्यापी स्थिरांक (Universal Constant) है।

यदि किसी गैस के 1 मील के लिए किसी ताप T1 पर उसका संगत आयतन V1 और दाब P1 हो, तो–

[latex]R=\frac { { P }_{ 1 }{ V }_{ 1 } }{ { T }_{ 1 } }[/latex]

इसी प्रकार, किसी गैस के 1 मोल के लिए किसी अन्य ताप T2 पर उसका संगत आयतन V2 और दाब P2 हो, तो

[latex]R=\frac { { P }_{ 2 }{ V }_{ 2 } }{ { T }_{ 2 } }[/latex]

[latex] \therefore \frac { { P }_{ 1 }{ V }_{ 1 } }{ { T }_{ 1 } } =\frac { { P }_{ 2 }{ V }_{ 2 } }{ { T }_{ 2 } } =R[/latex]

अर्थात, PV=RT

गैस के n मोल के लिए- PV = nRT

रासायनिक संयोजन क्या है ।।रासायनिक संयोजन के कितने नियम हैं।। रासायनिक  संयोजन का नियम किसने दिया ।।

परम ताप पैमाना (Absolute Temperature Scale):

ताप मापने का वह पैमाना जिसमें -273 °C को शून्य माना जाता है, परम ताप पैमाना कहलाता है। -273°C को परम शून्य ताप (Absolute Zero Temperature) कहते हैं।

चार्ल्स के नियम के अनुसार परम शून्य ताप पर गैस का आयतन शून्य हो जाना चाहिए, किन्तु व्यवहारतः ऐसी बात नहीं होती, क्योंकि इस ताप पर पहुँचने के पहले ही गैस द्रव या ठोस में परिणत हो जाती है। परम ताप T को TK या T केल्विन (kelvin) लिखा जाता है।

अत:,

0°C = 273K

5°C = (273 +5) = 278K

100°С = (273 + 100) = 37ЗК

सेण्टीग्रेड ताप की परम ताप या केल्विन में बदलने के लिए उसमें 273 जोड़ दिया जाता है और परम ताप को सेण्टीग्रेड ताप में बदलने के लिए उसमें से 273 घटा लिया जाता है, अर्थात्

t°C = (T + 273)K

TK = (T-273)°С


सामान्य ताप एवं दाब (Normal Temperature and Pressure): 0°C T 273K को सामान्य ताप कहते हैं। जब बैरोमीटर में पारा (Hg) की ऊँचाई 760 मिमी रहती है, तब उस वायुमंडलीय दाब को सामान्य दाब कहते हैं। इसे 1 वायुमंडलीय दाब भी कहा जाता है। अतः 0°C ताप और 760 मिमी० दाब को सामान्य ताप एवं दाब या संक्षेप में सा० ता० दा० (N.T.P) भी कहते हैं।

गैसों का विसरण (Diffusion of Gases): घनत्वों में अंतर रहते हुए भी गैसों के पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध भी परस्पर घुल-मिल जाने की स्वाभाविक प्रक्रिया को गैसों का विसरण कहते हैं।

विसरण वेग (Rate of Diffusion): इकाई समय में किसी गैस का जितना आयतन किसी सछिद्र पात्र से होकर विसरित हो सकता है, उसे गैस के विसरण का वेग कहते हैं।

ग्राहम का गैसीय विसरण का नियम (Graham’s Law of Diffusion): 1883 ई. में ग्राहम ने गैसों के विसरण की गति के सम्बन्ध में एक नियम प्रतिपादित किया जिसे ग्राहम का गैसीय विसरण का नियम कहते हैं। इस नियम के अनुसार-“निश्चित ताप और दाब पर विभिन्न गैसों के विसरण के आपेक्षिक वेग उनके घनत्व के वर्गमूल के विपरीत अनुपात में होते हैं।”

यदि दो गैसों के आपेक्षिक घनत्व क्रमशः D1 एवं D2 हों तथा उनके विसरण के वेग क्रमशः r1 और r2 हों, तो ग्राहम के नियम के अनुसार-

[latex]{ r }_{ 1 }\propto \frac { 1 }{ \sqrt { { D }_{ 1 } }  }[/latex]

{ r }_{ 2 }\propto \frac { 1 }{ \sqrt { { D }_{ 2 } }  }[/latex]

या,

[latex]{ r }_{ 1 }=\frac { k }{ \sqrt { { D }_{ 1 } }  }[/latex]

[latex]{ r }_{ 2 }=\frac { k }{ \sqrt { { D }_{ 2 } }  }[/latex]

[latex]\frac { { r }_{ 1 } }{ { r }_{ 2 } } =\sqrt { \frac { { D }_{ 2 } }{ { D }_{ 1 } }  }[/latex]

हाइड्रोजन का घनत्व 1 और ऑक्सीजन का घनत्व 16 होता है, यदि उनके विसरण के वेग क्रमशः rH और rO हों, तो-

[latex]\frac { { r }_{ H } }{ { r }_{ O } } =\sqrt { \frac { 16 }{ 1 }  }[/latex]

या,

[latex]\frac { { r }_{ H } }{ { r }_{ O } } =4[/latex]

या,

[latex]{ r }_{ H }=4\quad \times \quad { r }_{ O }[/latex]

अर्थात्, हाइड्रोजन गैस के विसरण का वेग ऑक्सीजन गैस के विसरण के वेग से चार गुना अधिक होता है।

गैसों के विसरण के उपयोग

  1. ऐन्सल के मार्श गैस निर्देशक में,
  2. गैसों के मिश्रण को अलग-अलग करने में,
  3. गैसों के वाष्प घनत्व के निर्धारण में,
  4. समस्थानिकों को अलग-अलग करने में।

आंशिक दाब सम्बन्धी डाल्टन का नियम (Dalton’s Law of Partial Pressure): इस नियम के अनुसार एक निश्चित आयतन वाले गैसीय मिश्रण का कुल दाब अवयवी गैसों के आंशिक दाबों के योगफल के बराबर होता है।

यदि तीन गैसें A, B तथा C के आंशिक दाब क्रमशः PA, PB, तथा PC हों, तो डाल्टन के आंशिक दाब के नियम के अनुसार (यदि इन तीनों गैसों एक अन्य V लीटर के फलास्क में एक साथ भर दिया जाए),

कुल दाब (P) = PA+PB+PC

ऐवोगाड्रो की परिकल्पना (Avogadro’s Hypothesis): समान ताप और दाब पर सभी गैसों के समान आयतनों में अणुओं की संख्या समान होती है।

यदि समान ताप और दाब पर गैस का आयतन V व गैस के मोलों की संख्या n हो, तो

V ∝ n

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